भाई परमानन्द
भाई परमानन्द
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पूरा नाम | भाई परमानन्द |
जन्म | 4 नवम्बर, 1876 |
जन्म भूमि | करियाला, पंजाब (अब पाकिस्तान) |
मृत्यु | 8 दिसम्बर, 1947 |
अभिभावक | भाई ताराचन्द और मथुरा देवी |
नागरिकता | भारतीय |
प्रसिद्धि | स्वतंत्रता सेनानी, लेखक, अध्यापक |
धर्म | हिंदू |
विद्यालय | डी.ए.वी. कॉलेज और पंजाब विश्वविद्यालय |
शिक्षा | एम.ए. |
विशेष योगदान | भारत की स्वतंत्रता में मुख्य भूमिका निभाने वाले सरदार भगत सिंह, सुखदेव, रामप्रसाद बिस्मिल और करतार सिंह जैसे ना जाने कितने राष्ट्रभक्त युवकों ने इनसे प्रेरणा पाई थी। |
रचनाएँ | 'हिन्दू संगठन', 'भारत का इतिहास', 'दो लहरों की टक्कर', 'पंजाब का इतिहास', 'वीर बन्दा वैरागी', 'मेरी आपबीती' आदि |
भाई परमानन्द अथवा 'पण्डित परमानन्द' (अंग्रेज़ी: Bhai Parmanand, जन्म- 4 नवम्बर, 1876 - मृत्यु: 8 दिसम्बर, 1947) भारत के स्वतंत्रता संग्राम के महान् क्रांतिकारी थे। वे बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी और एक महापुरुष थे। परमानन्द जी जहाँ आर्य समाज और वैदिक धर्म के सच्चे प्रचारक थे, वहीं दूसरी ओर एक इतिहासकार, साहित्यकार और प्रसिद्ध शिक्षाविद के रूप में भी उन्होंने ख्याति अर्जित की थी। भारत की स्वतंत्रता में मुख्य भूमिका निभाने वाले सरदार भगत सिंह, सुखदेव, रामप्रसाद बिस्मिल और करतार सिंह जैसे ना जाने कितने राष्ट्रभक्त युवकों ने इनसे प्रेरणा पाई थी।
विषय सूची
जन्म तथा शिक्षा
राष्ट्रीय विचारों के लिए विदेशी सरकार ने जिनके लिए मृत्युदंड की घोषणा की और जो 'हिन्दू महासभा' के प्रमुख नेता बने थे, उन भाई परमानन्द का जन्म 4 नवम्बर 1876 ई. को पंजाब के झेलम ज़िले में हुआ था। उन्होंने डी.ए.वी. कॉलेज और पंजाब विश्वविद्यालय से अपनी शिक्षा पूरी की थी। वे आरम्भ में ही आर्य समाज के नेता लाला लाजपत राय और महात्मा हंसराज के प्रभाव में आ गये थे। अत: डी.ए.वी. कॉलेज में अध्यापन कार्य करने के साथ ही वे आर्य समाज का प्रचार भी करते रहे। 1905 में वे दक्षिण अफ़्रीका गये और वहाँ समाज की शाखा स्थापित की।
विदेश यात्रा
दक्षिण अफ़्रीका से वे इतिहास का अध्ययन पूरा करने के लिए लंदन गए और 1908 में भारत आकर डी.ए.वी. कॉलेज, लाहौर में फिर से अध्यापन करने लगे। उन्होंने बर्मा की और फिर दोबारा दक्षिण अफ़्रीका की यात्रा की। इस बीच उन्होंने उर्दू में 'तवारिखे उर्दू' नामक 'भारत के इतिहास' की पुस्तक लिखी। इसे सरकार ने जब्त कर लिया। उनके घर की तलाशी हुई और तीन वर्ष तक अच्छा चाल-चलन रखने के लिए उनसे जमानत देने को कहा गया। इस पर भाई परमानन्द ने भारत छोड़ दिया और ब्रिटेन, गायना और ट्रिनिडाड होते हुए कैलिफ़ोर्निया, अमेरिका जा पहुँचे। वहाँ परमानन्द के बचपन के मित्र लाला हरदयाल ग़दर पार्टी का काम कर रहे थे।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
भारतीय चरित कोश |लेखक: लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय' |प्रकाशक: शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली |पृष्ठ संख्या: 568 |
- ↑ 1.0 1.1 आर्य, डॉक्टर विवेक। भाई परमानन्द (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 21 मार्च, 2012।
बाहरी कड़ियाँ
- भाई परमानन्द की पुण्यतिथि (8 दिसम्बर) पर विशेष
- मातृभूमि के लिए समर्पित क्रांतिकारी भाई परमानंद
- हमारे राष्ट्रपुरुष (लेखक- भाई परमानांद)