ठाकुर प्यारेलाल सिंह
ठाकुर प्यारेलाल सिंह
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पूरा नाम | ठाकुर प्यारेलाल सिंह |
जन्म | 21 दिसम्बर, 1891 |
जन्म भूमि | दैहान, राजनांदगांव, छत्तीसगढ़ |
मृत्यु | 22 अक्टूबर, 1954 |
अभिभावक | पिता- दीनदयाल सिंह तथा माता- नर्मदा देवी |
नागरिकता | भारतीय |
प्रसिद्धि | राष्ट्रीय नेता तथा श्रमिक आन्दोलन के सूत्रधार |
धर्म | हिन्दू |
आंदोलन | आपके नेतृत्व में राजनांदगांव में श्रमिक आन्दोलन, 'छात्र आन्दोलन', 'स्वदेशी आन्दोलन' तथा 'अत्याचारी दीवान हटाओ आन्दोलन' चलते रहे। |
शिक्षा | बी.ए. तथा विधि स्नातक |
विशेष योगदान | राजनांदगांव में ठाकुर प्यारेलाल ने मिल मज़दूरों को संगठित किया था। उनके नेतृत्व में 1919 में मज़दूरों ने देश की सबसे पहली और लम्बी हड़ताल की थी। |
संबंधित लेख | छत्तीसगढ़ का इतिहास, श्रमिक आन्दोलन |
अन्य जानकारी | सन 1936 से 1947 तक ठाकुर साहब रायपुर नगरपालिका के लगातार तीन बार अध्यक्ष निर्वाचित हुए थे, जो स्वयंमेव एक रिकार्ड है। वे 'छत्तीसगढ़ एजूकेशनल सोसाइटी' के संस्थापक अध्यक्ष थे। |
ठाकुर प्यारेलाल सिंह (अंग्रेज़ी: Thakur Pyarelal Singh ; जन्म- 21 दिसम्बर, 1891, राजनांदगांव, छत्तीसगढ़; मृत्यु- 22 अक्टूबर, 1954) छत्तीसगढ़ में 'श्रमिक आन्दोलन' के सूत्रधार तथा 'सहकारिता आन्दोलन' के प्रणेता थे। सन 1920 में राजनांदगांव में मिल मज़दूरों ने हड़ताल की थी, जो 37 से भी अधिक दिनों तक चली थी और मिल अधिकारियों को मज़दूरों की सभी मांगें मंजूर करनी पड़ी थीं। वह हड़ताल ठाकुर प्यारेलाल के नेतृत्व में हुई थी। ठाकुर प्यारेलाल 1920 में पहली बार महात्मा गाँधी के संपर्क में आए थे। असहयोग आन्दोलन एवं सत्याग्रह आन्दोलन में उन्होंने सक्रिय भाग लिया तथा गिरफ़्तार होकर जेल भी गए। वर्ष 1945 में छत्तीसगढ़ के बुनकरों को संगठित करने के लिए उनके नेतृत्व में 'छत्तीसगढ़ बुनकर सहकारी संघ' की स्थापना हुई थी। प्रवासी छत्तीसगढ़ियों को शोषण एवं अत्याचार से मुक्त कराने की दिशा में वे सदा सक्रिय रहे।
विषय सूची
जन्म
छत्तीसगढ़ में श्रमिक आन्दोलन के सूत्रधार ठाकुर प्यारेलाल सिंह का जन्म 21 दिसम्बर, 1891 ई. को छत्तीसगढ़ में राजनांदगांव ज़िले के 'दैहान' नामक ग्राम में हुआ था। इनके पिता का नाम दीनदयाल सिंह तथा माता का नाम नर्मदा देवी था।
शिक्षा
ठाकुर प्यारेलाल की प्रारम्भिक शिक्षा राजनांदगांव तथा रायपुर में हुई। हाईस्कूल के लिए उन्हें रायपुर आना पड़ा था। सन 1909 में उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण की थी। इसके बाद 1913 में उन्होंने नागपुर से बी.ए. पास किया। नागपुर तथा जबलपुर से उन्होंने उच्च शिक्षा प्राप्त की थी और फिर 1916 में वकालत की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद वकालत प्रारम्भ कर दी।[1]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.0 1.1 ठाकुर प्यारेलाल सिंह (हिन्दी) इग्निका। अभिगमन तिथि: 01 फ़रवरी, 2015।
- ↑ 2.0 2.1 त्यागमूर्ति ठाकुर प्यारेलाल सिंह (हिन्दी) छत्तीसगढ़ के महापुरुष। अभिगमन तिथि: 01 फ़रवरी, 2015।