नारायण दत्त तिवारी
नारायण दत्त तिवारी
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पूरा नाम | नारायण दत्त तिवारी |
जन्म | 18 अक्टूबर, 1925 |
जन्म भूमि | ग्राम बल्यूरी, नैनीताल |
मृत्यु | 18 अक्टूबर, 2018 |
मृत्यु स्थान | दिल्ली |
अभिभावक | पूरन चंद तिवारी और चंद्रवती तिवारी |
पति/पत्नी | सुशीला तिवारी |
नागरिकता | भारतीय |
प्रसिद्धि | राजनीतिज्ञ |
पार्टी | समाजवादी पार्टी, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |
पद | उत्तर प्रदेश और उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री, आंध्र प्रदेश के राज्यपाल |
कार्य काल | राज्यपाल- 22 अगस्त, 2007 – 26 दिसम्बर, 2009 मुख्यमंत्री (उत्तर प्रदेश)- 1976–77, 1984–85, 1988–89 |
शिक्षा | एम.ए.एल.एल.बी |
विद्यालय | इलाहाबाद विश्वविद्यालय |
भाषा | हिंदी, अंग्रेज़ी |
जेल यात्रा | 1942 के 'भारत छोड़ो आंदोलन' में गिरफ़्तार किये गए। |
अन्य जानकारी | नारायण दत्त तिवारी केंद्र में योजना मंत्री, उद्योग मंत्री, पेट्रोलियम और विदेश मंत्री के पद पर काम कर चुके हैं। कुछ समय तक प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे हैं। |
नारायण दत्त तिवारी (अंग्रेज़ी: Narayan Dutt Tiwari, संक्षिप्त नाम: एन. डी. तिवारी, जन्म: 18 अक्टूबर, 1925 - मृत्यु- 18 अक्टूबर, 2018) उत्तर प्रदेश और उत्तराखण्ड के भूतपूर्व मुख्यमन्त्री थे। वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता हैं। एन. डी. तिवारी उत्तर प्रदेश के चार बार मुख्यमंत्री रहे और उत्तरांचल प्रदेश बनने के बाद वहाँ के तीसरे मुख्यमंत्री बने।
जीवन परिचय
नारायण दत्त तिवारी का जन्म 18 अक्तूबर, 1925 ई. को ग्राम बल्यूरी, पदमपुरी ज़िला नैनीताल में हुआ था। उनके पिता पूरन चंद तिवारी भी स्वतंत्रता सेनानी थे। देशभक्ति की भावना से प्रेरित तिवारी जी विद्यार्थी जीवन में ही आंदोलन में सम्मिलित हो गये। और 1942 के 'भारत छोड़ो आंदोलन' में गिरफ्तार कर लिए गये। जेल से छूटने पर उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से अपनी शिक्षा पूरी की। तभी उन्हें देश के प्रमुख नेताओं जवाहरलाल नेहरू, महामना मदनमोहन मालवीय, आचार्य नरेंद्र देव आदि के आने का अवसर मिला और वे समाजवादी बन गए। उन्होंने अपना राजनीतिक जीवन कुमाऊं के श्रमिक संघों के संगठन में लगकर आरम्भ किया।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ एनडी तिवारी के निधन पर PM बोले, यूपी, उत्तराखंड के औद्योगिक विकास में उनका योगदान महत्वपूर्ण, जानिये किसने क्या कहा... (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 06 नवम्बर, 2018।
- पुस्तक- भारतीय चरित कोश|लेखक- लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय'|पृष्ठ संख्या- 425