सम्पूर्णानंद
सम्पूर्णानंद
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पूरा नाम | डॉ. सम्पूर्णानंद |
जन्म | 1 जनवरी, 1889 |
जन्म भूमि | वाराणसी, उत्तर प्रदेश |
मृत्यु | 10 जनवरी, 1969 |
अभिभावक | मुंशी विजयानंद और आनंदी देवी |
नागरिकता | भारतीय |
प्रसिद्धि | स्वतंत्रता सेनानी, राजनेता, लेखक |
पार्टी | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |
पद | उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और राजस्थान के पूर्व राज्यपाल |
कार्य काल | मुख्यमंत्री (उत्तर प्रदेश)- 28 दिसंबर 1954 से 7 दिसंबर 1960 तक; राज्यपाल (राजस्थान)- 16 अप्रॅल 1962 – 16 अप्रॅल 1967 |
शिक्षा | बी.एससी. एल.टी. |
भाषा | हिंदी, संस्कृत, फ़ारसी |
विशेष योगदान | सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय की स्थापना में विशेष योगदान दिया। |
मुख्य रचनाएँ | अंतर्राष्ट्रीय विधान, समाजवाद, हिंदू देव परिवार का विकास, आर्यों का आदि देश, जीवन और दर्शन आदि |
अन्य जानकारी | 'मर्यादा' नाम की हिंदी पत्रिका और 'टुडे' नामक अंग्रेज़ी दैनिक का संपादन भी किया। |
सम्पूर्णानंद (अंग्रेज़ी: Sampurnanand, जन्म:1 जनवरी, 1889, वाराणसी; मृत्यु: 10 जनवरी, 1969) प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी और राजनेता थे, जो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और राजस्थान के राज्यपाल भी रहे थे। डॉ. सम्पूर्णानंद कुशल तथा निर्भीक राजनेता एवं सर्वतोमुखी प्रतिभा वाले साहित्यकार एवं अध्यापक थे। उनकी इतिहास, पुराण, दर्शन, राजनीति, समाजशास्त्र आदि में गहरी पैठ थी। आध्यात्मिक विषयों में भी उनकी बड़ी रुचि थी। वे समाजवादी विचारों के व्यक्ति थे और 1934 में कांग्रेस के अंदर 'समाजवादी पार्टी' के गठन में आचार्य नरेंद्र देव के साथ उनका भी प्रमुख हाथ था।
जीवन परिचय
प्रसिद्ध राजनेता और विद्वान डॉ. संपूर्णानंद का जन्म 1 जनवरी, 1889 ई. को वाराणसी में हुआ था। उनके पिता का नाम मुंशी विजयानंद और माता का नाम आनंदी देवी था। पितामह बख्शी सदानंद काशी नरेश के दीवान थे। किनाराम बाबा के आशीर्वाद से सब पुरुषों के नाम के साथ 'आनंद' शब्द लगने लगा। पिता मुंशी विजयानंद सरकारी कर्मचारी थे। संपूर्णानंद जी ने 18 वर्ष की उम्र में बी.एससी. की परीक्षा पास की। अपने अध्यवसाय से इन्होंने फ़ारसी और संस्कृत का भी अच्छा ज्ञान प्राप्त कर लिया।
