सूर्य सेन
सूर्य सेन
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पूरा नाम | सूर्य सेन |
अन्य नाम | मास्टर सूर्य सेन |
जन्म | 22 मार्च, 1894 ई. |
जन्म भूमि | चटगाँव, अविभाजित बंगाल, ब्रिटिश भारत |
मृत्यु | 12 जनवरी, 1934 |
मृत्यु स्थान | बंगाल, आज़ाद भारत |
अभिभावक | रामनिरंजन |
नागरिकता | भारतीय |
प्रसिद्धि | स्वतंत्रता सेनानी |
विद्यालय | 'बहरामपुर कॉलेज', बहरामपुर |
शिक्षा | बी. ए. |
विशेष योगदान | वर्ष 1923 तक मास्टर सूर्य सेन ने चटगाँव के कोने-कोने में क्रांति की अलख जगा दी थी। |
अन्य जानकारी | आपने 23 दिसम्बर, 1923 को चटगाँव में आसाम-बंगाल रेलवे के ट्रेजरी ऑफिस को लूटा। उन्हें सबसे बड़ी सफलता 'चटगाँव आर्मरी रेड' के रूप में मिली थी। |
सूर्य सेन (अंग्रेज़ी: Surya Sen; जन्म- 22 मार्च, 1894, चटगाँव, अविभाजित बंगाल, ब्रिटिश भारत; मृत्यु- 12 जनवरी, 1934, बंगाल, आज़ाद भारत) भारत की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करने वाले प्रसिद्ध क्रांतिकारियों और अमर शहीदों में गिने जाते हैं। भारत भूमि पर अनेकों शहीदों ने क्रांति की वेदी पर अपने प्राणों की आहुति देकर आज़ादी की राहों को रोशन किया है। इन्हीं में से एक सूर्य सेन 'नेशनल हाईस्कूल' में उच्च स्नातक शिक्षक के रूप में कार्यरत थे, जिस कारण लोग उन्हें प्यार से 'मास्टर दा' कहते थे। "चटगाँव आर्मरी रेड" के नायक मास्टर सूर्य सेन ने अंग्रेज़ सरकार को सीधे चुनौती दी थी। सरकार उनकी वीरता और साहस से इस प्रकार हिल गयी थी की जब उन्हें पकड़ा गया, तो उन्हें ऐसी हृदय विदारक व अमानवीय यातनाएँ दी गईं, जिन्हें सुनकर ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं।
विषय सूची
जन्म तथा शिक्षा
सूर्य सेन का जन्म 22 मार्च, 1894 को ब्रिटिश शासन के समय चटगाँव, बंगाल में हुआ था। इनका पिता का नाम रामनिरंजन था, जो चटगाँव के ही नोअपारा इलाके में एक शिक्षक थे। सूर्य सेन जी की प्रारम्भिक शिक्षा-दीक्षा चटगाँव में ही हुई। जब वह इंटरमीडिएट के विद्यार्थी थे, तभी अपने एक राष्ट्र प्रेमी शिक्षक की प्रेरणा से वह बंगाल की प्रमुख क्रांतिकारी संस्था अनुशीलन समिति के सदस्य बन गए। इस समय उनकी आयु 22 वर्ष थी। आगे की शिक्षा के लिए सूर्य सेन बहरामपुर आ गए और उन्होंने 'बहरामपुर कॉलेज' में बी. ए. के लिए प्रवेश ले लिया। यहीं उन्हें प्रसिद्ध क्रांतिकारी संगठन "युगांतर" के बारे में पता चला और वह उससे प्रभावित हुए बिना नहीं रह सके।[1]