गणेश वासुदेव मावलंकर
गणेश वासुदेव मावलंकर
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पूरा नाम | गणेश वासुदेव मावलंकर |
अन्य नाम | दादासाहेब, लोकसभा के जनक[1] |
जन्म | 27 नवम्बर, 1888 ई. |
जन्म भूमि | बड़ोदरा, भारत |
मृत्यु | 27 फ़रवरी, 1956 ई. |
मृत्यु स्थान | अहमदाबाद |
नागरिकता | भारतीय |
पार्टी | कांग्रेस |
पद | लोकसभा के प्रथम अध्यक्ष |
कार्य काल | 15 मई, 1952 - 27 फ़रवरी, 1956 |
शिक्षा | बी.ए., वकालत |
विद्यालय | 'गुजरात कॉलेज', 'मुम्बई विश्वविद्यालय' |
भाषा | हिन्दी, अंग्रेज़ी |
गणेश वासुदेव मावलंकर (अंग्रेज़ी: Ganesh Vasudev Mavalankar, जन्म: 27 नवम्बर, 1888; मृत्यु: 27 फ़रवरी, 1956) प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी और भारत की स्वाधीनता के पश्चात लोकसभा के प्रथम अध्यक्ष बने थे। अपने कार्यकाल में उन्होंने कई संसदीय परम्पराएँ स्थापित की थीं। उन्हें 'दादा साहेब' के नाम से भी जाना जाता है। गणेश वासुदेव मावलंकर ने एक अधिवक्ता के रूप में अपना सार्वजनिक जीवन शुरू किया था। उन्होंने कई ग्रंथों की भी रचना की। आप कई भाषाओं के जानकार थे।
परिचय
गणेश वासुदेव मावलंकर का जन्म 27 नवम्बर, 1888 ई. में बड़ोदरा में हुआ था। उनके पूर्वज महाराष्ट्र में रत्नागिरि के निवासी थे। मावलंकर अपनी उच्च शिक्षा के लिए 1902 ई. में अहमदाबाद आ गये थे। उन्होंने अपनी बी.ए. की परीक्षा 'गुजरात कॉलेज' से उत्तीर्ण की थी और क़ानून की डिग्री 'मुंबई यूनिवर्सिटी' से प्राप्त की। अपनी शिक्षा पूर्ण करने के बाद उन्होंने अहमदाबाद से अपनी वकालत प्रारम्भ की और साथ ही सार्वजनिक कार्यों में भी भाग लेने लगे। शीघ्र ही वे सरदार वल्लभ भाई पटेल और गांधीजी के प्रभाव में आ गए। उन्होंने खेड़ा सत्याग्रह में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया था।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
भारतीय चरित कोश |लेखक: लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय' |प्रकाशक: शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली |पृष्ठ संख्या: 218 |
- ↑ भारत के प्रथम पंडित जवाहर लाल नेहरू ने "लोक सभा के जनक" की उपाधि से सम्मानित किया था।