मुम्बई

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मुम्बई
मुम्बई का एक दृश्य
विवरण मुम्बई महाराष्ट्र राज्य की राजधानी है। मुम्बई को भारत का प्रवेश द्वार भी कहा जाता है।
राज्य महाराष्ट्र
ज़िला मुम्बई
स्थापना तीसरी शताब्दी ई. पू में सम्राट अशोक द्वारा स्थापित
भौगोलिक स्थिति उत्तर- 18°58′30″, पूर्व- 72°49′33″
मार्ग स्थिति मुम्बई शहर सड़क द्वारा पुणे से 150 किमी, नासिक से 172 किमी, नागपुर से 847 किमी और दिल्ली से 1,398 किमी की दूरी पर स्थित है।
प्रसिद्धि गेटवे ऑफ इंडिया, होटल ताज, एलिफेंटा की गुफाएँ, छत्रपति शिवाजी टर्मिनस, जुहू चौपाटी आदि।
कब जाएँ अक्टूबर से मार्च
कैसे पहुँचें जलयान, हवाई जहाज़, रेल, बस आदि से पहुँचा जा सकता है।
हवाई अड्डा छत्रपति शिवाजी अंतर्राष्ट्रीय विमानक्षेत्र, नवी मुंबई अन्तर्राष्ट्रीय विमानक्षेत्र, जुहू हवाई अड्डा
रेलवे स्टेशन छत्रपति शिवाजी टर्मिनस, लोकमान्य तिलक टर्मिनस रेलवे स्टेशन, मुंबई सेंट्रल, मुंबई उपनगरीय रेलवे, दादर स्टेशन, विक्टोरिया रेलवे स्टेशन
बस अड्डा राज्य परिवहन टर्मिनल
यातायात साइकिल-रिक्शा, ऑटो-रिक्शा, टैक्सी, सिटी बस और मेट्रो रेल
क्या देखें मुम्बई पर्यटन
कहाँ ठहरें होटल, धर्मशाला, अतिथि ग्रह
क्या खायें वड़ा पाव, श्रीखंड, भेलपूरी, पूरन पोली, पोहा, साबूदाना वड़ा, फिरनी, मालपुआ, कटिंग चाय आदि
एस.टी.डी. कोड 022
ए.टी.एम लगभग सभी
Map-icon.gif गूगल मानचित्र
भाषा मराठी, हिन्दी, अंग्रेज़ी और गुजराती
अद्यतन‎

मुम्बई शहर, भूतपूर्व बंबई, महाराष्ट्र राज्य की राजधानी है। मुम्बई को भारत का प्रवेश द्वार भी कहा जाता है। यह दक्षिण-पश्चिम भारत देश का वित्तीय व वाणिज्यिक केंद्र और अरब सागर में स्थित प्रमुख बंदरगाह है। मुम्बई दुनिया के विशालतम व सबसे घनी आबादी वाले शहरों में से एक है।

मुम्बई एक प्राचीन बस्ती के स्थल पर बसा हुआ है और इसका नामकरण भगवान शंकर की पत्नी पार्वती देवी के एक रूप, स्थानीय देवी मुंबा के नाम पर किया गया है जिनका मंदिर उस स्थल पर था, जहाँ पर अब नगर का दक्षिण-पूर्वी हिस्सा अवस्थित है। मुम्बई लंबे समय से भारत के सूती वस्त्र उद्योग के केंद्र के रूप में विख्यात रहा है, लेकिन अब यहाँ विविध निर्माण उद्योग भी हैं और इसके वाणिज्यिक व वित्तिय संस्थान सशक्त और सबल हैं। इस शहर में अधिकांश बड़े, विकासशील औद्योगिक नगरों की पुरानी समस्या वायुजल प्रदूषण, झुग्गी, बस्ती और अत्यधिक भीड़भाड़ मौजूद है। द्वीपीय अवस्थिति के कारण मुम्बई का विस्तार सीमित है।

इतिहास

मछुआरों की मूल जनजाति, कोली यहाँ के आरम्भिक ज्ञात निवासी थे, हालाँकि वृहद मुम्बई के कान्दीवली में पाए गए पुरापाषाण काल के पत्थर के औज़ार यहाँ पाषाण काल के दौरान मानव बस्ती की ओर संकेत करते हैं। प्राचीन यूनानी खगोलशास्त्री व भूगोलविज्ञानी टॉलमी के समय में यह क्षेत्र हेप्टेनिशिया के रूप में जाना जाता था और यह 1000 वर्ष ई. पू. में फ़ारसमिस्र के साथ समुद्री व्यापार का प्रमुख केन्द्र था। तीसरी शताब्दी ई. पू. में यह अशोक के साम्राज्य का हिस्सा था और छठी से आठवीं शताब्दी में यहाँ चालुक्यों का शासन रहा, जिन्होंने अपनी छाप घरपुरी (एलीफ़ेन्टा द्वीप) पर छोड़ी। मालाबार पॉइन्ट पर बना वाकेश्वर मन्दिर सम्भवतः कोंकण तट के शिलाहर प्रमुखों के शासन (9वीं से 13वीं शताब्दी) के दौरान निर्मित किया गया था। दोगिरि के यादवों (1187-1318) के समय में इस द्वीप (जो बाम्बे द्वीप बना) पर महिकावती (माहिम) बस्ती की स्थापना हुई, जो 1924 में हिन्दुस्तान के ख़िलजी वंश के आक्रमणों के जवाब में बनाई गई। इन्हीं के वंशज वर्तमान मुम्बई में पाए जाते हैं और बहुत से स्थानों के नाम आज भी उसी युग से हैं। 1348 में आक्रमणकारी मुस्लिम सेनाओं ने इस द्वीप को जीत लिया और यह गुजरात राज्य का हिस्सा बन गया। माहिम को जीतने की पुर्तग़ाली कोशिश 1507 में असफल रही, लेकिन 1534 में गुजरात के शासक सुल्तान बहादुरशाह ने यह द्वीप पुर्तग़ालियों को सौंप दिया। 1661 में किंग चार्ल्स द्वितीय व पुर्तग़ाल के राजा की बहन कैथरीन आफ़ ब्रैगेंज़ा के विवाह के बाद यह ब्रिटिश नियंत्रण में आ गया। राजा ने इसे 1668 में ईस्ट इंडिया कम्पनी को सत्तांतरित कर दिया। शुरुआत में कलकत्ता (वर्तमान कोलकाता) व मद्रास (वर्तमान चेन्नई) की तुलना में बंबई कम्पनी की बहुत बड़ी सम्पत्ति ने होकर केवल पश्चिमी तट पर कम्पनी की पैर जमाए रखने में सहायता करता था।

आधुनिक ढंग की सूती वस्त्र की पहली मिल की स्थापना 1818 में कोलकाता के समीप फोर्ट ग्लास्टर में की गयी थी, किन्तु यह असफल रही। पुनः 1851 में मुंबई में एक मिल स्थापित की गयी, जो असफल रही। सबसे पहला सफल आधुनिक कारख़ाना 1854 में मुम्बई में ही कावसजी डाबर द्वारा खोला गया, जिसमें 1856 में उत्पादन प्रारम्भ हुआ। इसके बाद तो भारत में सूती वस्त्र उद्योग के विकास का मार्ग प्रशस्त हो गया एवं वर्ष 1988 तक भारत में इस उद्योग से सम्बन्धित 1227 (1995 में) मिलों की स्थापना की जा चुकी थी, जिसमें 771 मिलों मे केवल सूत की कताई होती थी, जबकि 283 मिलें कताई के साथ ही वस्त्र निर्माण करने का भी काम करती थीं।

बिज़नेस केपिटल ऑफ़ इंडिया

मुम्बई को पहले बॉम्बे के नाम से जाना जाता था। मुम्बई शहर को बिजनेस केपिटल ऑफ इंडिया के नाम से भी जाना जाता है। यहां देश के प्रमुख वित्तीय और संचार केन्द्र है। भारत का सबसे बड़ा शेयर बाज़ार, जिसका विश्व में तीसरा स्थान है, मुम्बई में ही स्थित है। मुम्बई भारत के पश्चिमी समुद्र तट पर स्थित है। यह अरबियन समुद्र के सात द्वीपों का एक हिस्सा है। इसलिए इसे सात टापुओं का नगर भी कहा जाता है। मुम्बई सामान्य रूप से सात द्वीपों जिनके नाम कोलाबा, माजागांव, ओल्ड वूमन द्वीप, वाडाला, माहीम, पारेल और माटूंगा-सायन पर स्थित है।

होटल ताज, मुम्बई

सन् 1661 में इंग्लैंड के महाराजा चार्ल्‍स ने पुर्तग़ाल की राजकुमारी कैटरीना डे ब्रिगेंजा से शादी की थी। शादी में दहेज के रूप में चार्ल्‍स को बम्बई शहर मिला था, जो वर्तमान समय में मुम्बई के नाम से जाना जाता है। लेकिन सन् 1668 में मुम्बई ईस्ट इंडिया कम्पनी के हाथों में चला गया। सन् 1868 में महारानी विक्टोरिया ने शहर के प्रशासन को ईस्ट इंडिया कम्पनी से वापस ले लिया।[1]

भौतिक एवं मानव भूगोल

मुम्बई शहर प्रायद्विपीय स्थल पर बसा हुआ है, जो मूलतः पश्चिम भारत के कोंकण तट के पास स्थित सात द्वीपिकाओं से मिलकर बना है। 17 वीं शताब्दी से अपवाह व भूमि फिर से हासिल करने की परियोजनाओं और जलमार्गों व जल अवरोधकों के निर्माण के कारण ये द्वीपिकाएं मिलकर एक बड़े भूभाग का निर्माण करती हैं, जिसे बंबई द्वीप के नाम से जाना जाता था। इस द्वीप के पूर्व में मुम्बई बंदरगाह का स्थिर जलक्षेत्र है। यह द्वीप निम्न मैदान से बना है, जिसका एक चौथाई हिस्सा समुद्र तल से भी नीचा है; इस मैदान के पूर्वी और पश्चिमी किनारों में निचली पहाड़ियों की दो समानांतर पर्वतश्रेणियाँ हैं। इनमें से लंबी पर्वतश्रेणी द्वारा सुदूर दक्षिण में निर्मित कोलाबा पॉइंट मुम्बई बंदरगाह को खुले समुद्र से बचाता है। पश्चिमी पर्वतश्रेणी मालाबार हिल पर समुद्र तल से 55 मीटर की ऊँचाई पर समाप्त होती है, जो मुम्बई की सबसे ऊँचे इलाकों में से एक है। इन दो पर्वत श्रेणियों के बीच पश्च खाड़ी (बैक बे) का छिछला विस्तार है। इस खाड़ी के शीर्ष और बंदरगाह के बीच कुछ ऊँची भूपट्टिकाओं पर दुर्ग स्थित है, मूलतः इसी के चारों ओर शहर का विस्तार हुआ। अब यहाँ मुख्यतः सार्वजनिक एवं वाणिज्यिक कार्यालय हैं। पश्च खाड़ी से उत्तर की ओर भूतल मध्यवर्ती मैदान की दिशा में ढलान वाली है। बंबई के सुदूर उत्तर में विशाल खारे दलदल हैं।

शहर की संरचना

राजाबाई घंटाघर, मुम्बई

मुंबई में पुराने हिस्से ज़्यादा निर्मित हैं, लेकिन अधिक समृद्ध क्षेत्रों, जैसे मालाबार हिल में कुछ हरियाली है। यहाँ कई खुले मैदान व पार्क हैं। मुंबई में लगातार शहरीकरण के इतिहास के कारण शहर के कई हिस्सों में झुग्गी बस्तियाँ बन गईं हैं। इस शहर में अनेक कारख़ानों, बढ़ते यातायात और निकट स्थित तेलशोधनशालाओं के कारण वायु एवं जल प्रदूषण ख़तरे के स्तर तक बढ़ गया है। शहर के दक्षिणी हिस्से में वित्तीय ज़िला (पुराने फ़ोर्ट बंबई के आसपास) स्थित है। सुदूर दक्षिण (कोलाबा के आसपास) और पश्चिम में नेताजी सुभाष चंद्र रोड (मरीन ड्राइव) तथा मालाबार हिल आवासी क्षेत्र हैं। फ़ोर्ट क्षेत्र के उत्तर में प्रमुख व्यापारिक ज़िला है, जो धीरे-धीरे वाणिज्यिक आवासीय क्षेत्र में शामिल हो रहा है। अधिकांश पुराने कारख़ाने इसी क्षेत्र में स्थित हैं। सुदूर उत्तर में आवासीय क्षेत्र हैं और उनके बाद हाल ही में विकसित औद्योगिक क्षेत्र और झुग्गी बस्तियों के इलाक़े हैं।

अर्थव्यवस्था

मुम्बई भारत की आर्थिक धुरी एवं वाणिज्यिक व वित्तीय केन्द्र है। कुछ मायनों में इसकी आर्थिक संरचना भारत में नाभिकीय और पुरातन कालों के संयोजन को प्रदर्शित करती है। इस नगर में भारतीय परमाणु ऊर्जा आयोग स्थित है, जिसमें परमाणु रिऐक्टर और प्लूटोनियम विलग्नक स्थित है। नगर के कई हिस्सों में अब भी ईंधन और ऊर्जा के पारम्परिक जैविक साधनों का इस्तेमाल होता है।

परिवहन

मुम्बई सड़क संजाल द्वारा भारत के अन्य हिस्सों से जुड़ा हुआ है। यह पश्चिम तथा मध्य रेलवे का मुख्यालय है और इस नगर से चलने वाली रेलगाड़ियाँ भारत के सभी हिस्सों तक सामान व यात्रियों को ले जाती हैं। छत्रपति शिवाजी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा कई विदेशी हवाई सेवाओं के आगमन का महत्त्वपूर्ण स्थल है। जबकि निकटस्थ सान्ताक्रूज़ हवाई अड्डे से घरेलू उड़ानें भरी जाती हैं।

मुम्बई में भारत के अंतर्राष्ट्रीय हवाई यातायात का 60 प्रतिशत और घरेलू यातायात का लगभग 40 प्रतिशत हिस्सा केन्द्रित है। यहाँ के बंदरगाह पर उपलब्ध सुविधाओं ने मुम्बई को देश का प्रमुख पश्चिमी बंदरगाह बना दिया है। हालाँकि पश्चिमी तट पर मुम्बई के उत्तर में कांडला और दक्षिण में गोवाकोच्चि जैसे कई अन्य प्रमुख बंदरगाह बन गए हैं, लेकिन यहाँ से अब भी भारत के समुद्री व्यापार का 40 प्रतिशत हिस्सा संचालित होता है। दो उपनगरीय विद्युत रेलप्रणालियाँ मुख्य सार्वजनिक परिवहन उपलब्ध कराती हैं और रोज़ महानगरीय क्षेत्र के लाखों लोगों को ढोती हैं। मुम्बई में नगरपालिका के स्वामित्व वाली बस सेवा भी है।

प्रशासनिक एवं सामाजिक विशेषताएँ

सरकार

महाराष्ट्र की राजधानी के रूप में यह शहर राज्य प्रशासन का समेकित राजनीतिक खण्ड है, जिसके मुख्यालय को मंत्रालय कहा जाता है। राज्य सरकार पुलिस बल को नियंत्रित करती है और नगर के कुछ विभागों पर प्रशासनिक नियंत्रण रखती है। डाक एवं टेलीग्राफ़ प्रणाली, रेल, बंदरगाह और हवाई अड्डों जैसे संचार साधनों पर केन्द्र सरकार का नियंत्रण है।

बॉम्बे उच्च न्यायालय

मुम्बई में भारतीय नौसेना की पश्चिमी कमान का मुख्यालय भी है और यह भारतीय फ़्लैगशिप का बेस भी है। शहर का प्रशासन वृहद (ग्रेटर) मुम्बई के पूर्णतःस्वायत्त नगर निगम के अंतर्गत है। इसकी विधायी संस्था का निर्वाचन हर चार वर्ष में वयस्क मताधिकार द्वारा होता है और यह विभिन्न स्थायी समितियों के माध्यम से काम करती है। राज्य सरकार के द्वारा तीन वर्षों के लिए नियुक्त मुख्य कार्यकारी यहाँ का निगम आयुक्त होता है। महापौर का चुनाव हर वर्ष नगर निगम द्वारा किया जाता है; महापौर निगम की बैठकों की अध्यक्षता करता है और शहर में सर्वाधिक सम्मानित माना जाता है, लेकिन वस्तुतः उसके पास कोई सत्ता नहीं होती। 1885 में कांग्रेस के प्रथम स्थापना अधिवेशन मुम्बई में उत्तर प्रदेश से भाग लेने वाले मुख्य प्रतिनिधि गंगाप्रसाद वर्मा थे।

शिक्षा

मुम्बई की साक्षरता दर समूचे राष्ट्र की साक्षरता दर से काफ़ी अधिक हैं। प्राथमिक शिक्षा मुफ़्त व अनिवार्य है और यह नगर निगम का दायित्व है। माध्यमिक शिक्षा सरकारी व निजी विद्यालयों द्वारा सरकार की देखरेख में कराई जाती है। यहाँ सार्वजनिक एवं निजी पालिटेक्निक व संस्थान हैं, जो विद्यार्थियों को यांत्रिकी, विद्युत तथा रासायनिक इंजीनियरी में विभिन्न डिग्री व डिप्लोमा देते हैं। केन्द्र सरकार के द्वारा संचालित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आई. आई. टी.) भी यहाँ पर स्थित है। अन्य इंजीनियरिंग कॉलेजों में:-

  • सरदार पटेल कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग
  • वीरमाता जीजाबाई टेक्नोलाज़िकल इंस्टिट्यूट
  • के. जी. एस. कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग
  • एम. एच. एस. एस. कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग
  • डी. जे. एस. कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग
  • थोडोमल शाही इंजीनियरिंग कॉलेज
  • विवेकानन्द इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलोज़ी शामिल हैं।

1857 में स्थापित बाम्बे विश्वविद्यालय से सम्बद्ध कला, विज्ञान, वाणिज्य व शिक्षा सम्बन्धी महाविद्यालय, चिकित्सा, होमियोपैथी, यूनानी चिकित्सा, फ़ार्मेसी व दन्त चिकित्सा महाविद्यालय, वास्तुशिल्प, शारीरिक शिक्षा एवं प्रबन्धन संस्थान हैं। मुम्बई में महिलाओं के लिए एस. एन. डी. टी. विश्वविद्यालय भी है। 1857 में स्थापित मुम्बई विश्वविद्यालय से बहुत से महाविद्यालय और कई शिक्षण विभाग जुड़े हुए हैं। गोवा में स्थित बहुत से महाविद्यालय इस विश्वविद्यालय से सम्बद्ध हैं।

कला और संस्कृति

मुम्बई का सांस्कृतिक जीवन इसकी जातीय विविधतायुक्त जनसंख्या को प्रतिबिम्बित करता है। शहर में बहुत से संग्रहालय, पुस्तकालय, साहित्यिक एवं कई अन्य सांस्कृतिक संस्थान, कला, दीर्घाएँ व रंगशालाएँ हैं। भारत का कोई अन्य शहर अपनी सांस्कृतिक एवं मनोरंजन सुविधाओं के मामले में इतनी उच्च श्रेणी की विविधता और गुणवत्ता का शायद ही दावा कर सके।

साल भर यहाँ पश्चिमी व भारतीय संगीत सम्मेलन एवं महोत्सव और भारतीय नृत्य कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इंडो-सार्सेनिक वास्तुशिल्प की एक इमारत में द प्रिंस आफ़ वेल्स म्यूज़ियम आफ़ वेस्टर्न इंडिया है, जिसमें कला, पुरातत्त्व व प्राकृतिक इतिहास के तीन प्रमुख विभाग हैं। निकट ही जहाँगीर आर्ट गैलरी है, जो मुम्बई की पहली स्थायी कला दीर्घा है और सांस्कृतिक व शैक्षिक गतिविधियों का केन्द्र है। मुम्बई भारतीय मुद्रण उद्योग का महत्त्वपूर्ण केन्द्र है और यहाँ सशक्त प्रेस है। यहाँ अंग्रेज़ी, मराठी, हिन्दी, गुजराती, सिन्धीउर्दू में समाचार पत्र प्रकाशित होते हैं। बहुत-सी मासिक, पाक्षिक व साप्ताहिक पत्रिकाएँ भी यहाँ से प्रकाशित होती हैं। आल-इंडिया रेडियो (आकाशवाणी) का क्षेत्रीय केन्द्र भी मुम्बई में ही है और इस शहर के लिए दूरदर्शन सेवाएँ 1972 में शुरू हुईं। शहर के उत्तर में कृष्णगिरि वन एक राष्ट्रीय उद्यान और छुट्टियाँ बिताने के लिए ख़ूबसूरत सैरगाह है, कन्हेरी गुफ़ाओं के निकट एक प्राचीन बौद्ध विश्वविद्यालय था, यहाँ 100 से अधिक गुफ़ाओं में दूसरी से नौवीं शताब्दी तक के विशालकाय बौद्ध मूर्तिशिल्प हैं। यहाँ पर कई सार्वजनिक उद्यान हैं। जिसमें जीजामाता उद्यान शामिल है, यहाँ पर मुम्बई का चिड़ियाघर स्थित है, यहाँ पर बैपटिस्टा गार्डन भी है, जो मज़गाँव में एक जलाशय पर स्थित है; इसके अलावा मालाबार हिल पर स्थित फ़िरोज़शाह मेहता गार्डन, कमला नेहरू पार्क व स्लोपिंग पार्क हैं। समूचे भारत में लोकप्रिय क्रिकेट के मैच भारतीय क्रिकेट क्लब (ब्रेबोर्न स्टेडियम) और वानखेड़े स्टेडियम में खेले जाते हैं। दौड़ व साइकिल चालन प्रतियोगिताएँ वल्लभ भाई पटेल स्टेडियम में आयोजित की जाती है। स्नान व तैराकी के लिए जुहू समुद्र तट एक प्रसिद्ध स्थान है।

पर्व और त्यौहार

मुंबई के निवासी भारतीय त्यौहार मनाने के साथ-साथ अन्य त्यौहार भी मनाते हैं। दीपावली, होली, ईद, क्रिसमस, नवरात्रि, दशहरा, दुर्गा पूजा, महाशिवरात्रि, मुहर्रम आदि प्रमुख त्यौहार हैं। इनके अलावा गणेश चतुर्थी और जन्माष्टमी भी अधिक धूम-धाम के साथ मनाये जाते हैं। गणेश-उत्सव में शहर में जगह जगह बहुत विशाल एवं भव्य पंडाल लगाये जाते हैं, जिनमें भगवान गणपति की विशाल मूर्तियों की स्थापना की जाती है। ये मूर्तियां दस दिन बाद अनंत चौदस के दिन समुद्र में विसर्जित कर दी जाती हैं। जन्माष्टमी के दिन सभी मुहल्लों में समितियों द्वारा बहुत ऊंचा माखन का मटका बांधा जाता है। इसे मुहल्ले के बच्चे और लड़के मिलकर जुगत लगाकर माखन के मटके को फोड़ते हैं।

सिनेमा

मुम्बई भारतीय फ़िल्म उद्योग का गढ़ है। दादा साहेब फाल्के ने यहां मूक चलचित्र के द्वारा इस उद्योग की स्थापना की थी। इसके बाद ही यहाँ मराठी चलचित्र का भी आरंभ हुआ। आरंभिक बीसवीं शताब्दी में यहां सबसे पुरानी फ़िल्म प्रसारित हुई थी। मुंबई में बड़ी संख्या में सिनेमा हॉल हैं, जो हिन्दी, मराठी और अंग्रेज़ी फ़िल्में दिखाते हैं। विश्व में सबसे बड़ा आईमैक्स (IMAX) डोम रंगमंच भी मुंबई के वडाला में स्थित है। मुंबई अंतर्राष्ट्रीय फ़िल्म उत्सव और फ़िल्मफेयर पुरस्कार की वितरण कार्यक्रम सभा मुंबाई में ही आयोजित होती हैं। हालांकि मुंबई के ब्रिटिश काल में स्थापित अधिकांश रंगमंच समूह 1950 के बाद भंग हो चुके हैं, फिर भी मुंबई में एक समृद्ध रंगमंच संस्कृति विकसित हुई हुई है। ये हिन्दी, मराठी और अंग्रेज़ी, तीनों भाषाओं के अलावा अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में भी विकसित है। यहां सिने प्रेमियों की कमी नहीं है। अनेक निजी व्यावसायिक एवं सरकारी कला-दीर्घाएं खुली हुई हैं। इनमें जहांगीर कला दीर्घा और राष्ट्रीय आधुनिक कला दीर्घा प्रमुख हैं। 1833 में बनी बंबई एशियाटिक सोसाइटी में शहर का पुरातनतम पुस्तकालय स्थित है।

भोजन

मुम्बई में कोलाबा बड़े मियां, मुसाफिर खानं गुलशन-ए-ईरान, हाजी अली जूस सेंटर, शिव सागर जूहू स्थित है। यह सब अरबन तड़का के लिए प्रसिद्ध है। चॉकलेट चाय के लिए दादर स्थित पश्चिम स्टेशन जा सकते हैं। जबकि पानी पूरी के लिए बांद्रा के कराची स्वीट जाया जा सकता है। गर्म पोहा और साबूदाना वड़ा के लिए महापालिका मार्ग जा सकते हैं। होर्नीमन सर्कल के नजदीक अपूर्वा में मंगलोरियन सीफ्रूड का मजा ले सकते हैं। भिंडी बाज़ार और नूर मोहम्मदी में रमजान के महीने में यहां सड़क किनारे लगने वाली रेहड़ी से फिरनी और मालपुआ का स्वाद चख सकते हैं। स्वाति स्नैक्स जो टारडियो मार्ग में स्थित है। भारत के बेहतरीन स्नैक्स मिलते हैं। सिन्धुद्वार जो आर.के. विद्या रोड़, दादर पश्चिम में स्थित है; मछली के लिये प्रसिद्ध है। इसके अलावा यहां के चिड़वा और लड्डू का स्वाद भी ले सकते है। बहुत ही कम दाम में दक्षिण भारतीय शाकाहारी खाने के लिए रामानायक उद्दुपी, माटूंगा केंद्रीय स्टेशन के समीप। अगर आप बांद्रा (पश्चिम) में है तो लक्की रेस्तरां में जा सकते हैं। यह रस्तरां बिरयानी से लिए प्रसिद्ध है। गांधी नगर स्थित गोमांतक हाईवे, अपना बाज़ार, बांद्रा (पूर्व) में कोकर्णी के विभिन्न व्यंजन परोसे जाते हैं। इसके अलावा कोकर्णी खाने के लिए सायबा, बांद्रा (पूर्व) में स्थित है। [1]

जनसंख्या

मुम्बई की जनसंख्या 2001 की जनगणना के अनुसार 33,26,837 है और मुम्बई उपनगरीय क्षेत्र की जनसंख्या 85,87,561 है।



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वीथिका

फ़्लोरा फ़ाउंटेन का विहंगम दृश्य
फ़्लोरा फ़ाउंटेन का विहंगम दृश्य

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 मुम्बई (हिन्दी) (ए.एस.पी) यात्रा सलाह डॉट कॉम। अभिगमन तिथि: 25 मार्च, 2011

बाहरी कड़ियाँ

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