तिरुअनंतपुरम

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तिरुअनंतपुरम
नेय्यर बांध, तिरुअनंतपुरम
विवरण तिरुअनंतपुरम, भूतपूर्व त्रिवेंद्रम दक्षिणी भारत में स्थित केरल राज्य की राजधानी है।
राज्य केरल
ज़िला तिरुअनंतपुरम ज़िला
भौगोलिक स्थिति उत्तर- 08° 26′25' - पूर्व- 76° 55′25'
मार्ग स्थिति तिरुअनंतपुरम कोच्चि से 218 किलोमीटर दक्षिण में स्थित है।
कब जाएँ मानसून के बाद
कैसे पहुँचें जलयान, हवाई जहाज़, रेल व सड़क मार्ग द्वारा पहुँचा जा सकता है।
हवाई अड्डा तिरुअनंतपुरम अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा
रेलवे स्टेशन तिरुअनंतपुरम सेंट्रल रेलवे स्टेशन, कोचुवेलि रेलवे स्टेशन
बस अड्डा सेंट्रल बस अड्डा
यातायात ऑटो-रिक्शा, टैक्सी, सिटी बस
क्या देखें तिरुअनंतपुरम पर्यटन
कहाँ ठहरें होटल, धर्मशाला, अतिथि ग्रह
क्या ख़रीदें पारंपरिक हस्तशिल्प जैसे ताँबे का सामान, बाँस का फर्नीचर, कथकली के मुखौटे और पारंपरिक परिधान आदि
एस.टी.डी. कोड 0471
ए.टी.एम लगभग सभी
Map-icon.gif गूगल का मानचित्र, तिरुअनंतपुरम अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा
अन्य जानकारी केरल की स्थापना आज़ादी के बाद मालाबार एवं त्रावनकोर को मिलाकर की गई तब तिरुअनंतपुरम को राजधानी बनाया गया।
अद्यतन‎
तिरुअनंतपुरम तिरुअनंतपुरम पर्यटन तिरुअनंतपुरम ज़िला

तिरुअनंतपुरम केरल की राजधानी है, पहले इसका नाम त्रिवेन्द्रम था। तिरुअनंतपुरम का शाब्दिक अर्थ है- तिरु यानी पवित्र एवं अनंत अर्थात् सहस्त्रमुखी नाग तथा पुरम यानी आवास। केरल दक्षिण भारत का एक ऐसा राज्य है जहाँ प्रकृति एवं संस्कृति का सबसे अलग संगम मिलता है। इस प्रदेश को एक तरफ अरब सागर के नीले जल तो दूसरी तरफ पश्चिमी घाट की हरी-भरी पहाड़ियों ने अद्भुत नैसर्गिक सौंदर्य प्रदान किया है। सबसे पहले इस राज्य को भारतीय मानसून प्रभावित करता है। इसलिए यहाँ की धरती काफ़ी उर्वर है। केरल में नारियल एवं ताड़ के वृक्षों की भरमार है। नारियल को ‘केर’ भी कहा जाता है। कहते हैं केर वृक्षों की बहुत अधिक पैदावार के कारण ही इसका नाम केरल पड़ा।

चिरयिनकीज़ू, तिरुअनंतपुरम

इतिहास

अनंतवरम तिरुअनंतपुरम का प्राचीन पौराणिक नाम है जिसका उल्लेख ब्रह्मांडपुराण और महाभारत में है। 18वीं शताब्दी में त्रावनकोर के महाराजा ने जब अपनी राजधानी यहीं स्थानांतरित कर ली तब तिरुअनंतपुरम का महत्त्व बढ़ा। बाद में यहाँ कुछ महल और इमारतों का निर्माण हुआ। कहा जाता है कि देवताओं की नगरी के नाम से मशहूर इस शहर को महात्मा गांधी ने सदाबहार शहर की संज्ञा दी थी। 1994-95 के दौरान सर्वाधिक मात्रा में स्वर्ण आयात होने के कारण तिरुअनंतपुरम 'स्वर्णिम द्वार' कहा गया है। इस शहर का नाम शेषनाग अनंत के नाम पर पड़ा जिनके ऊपर पद्मनाभस्वामी (भगवान विष्णु) विश्राम करते हैं। तिरुवनंतपुरम, एक प्राचीन नगर है जिसका इतिहास 1000 ईसा पूर्व से शुरू होता है। आज़ादी के बाद यह त्रावणकोर कोचीन की राजधानी बनी। ‘केरल’ की स्थापना आज़ादी के बाद मालाबार एवं त्रावनकोर को मिलाकर की गई। तब तिरुअनंतपुरम को राजधानी बनाया गया। 1956 में केरल राज्य के बनने के बाद से यह केरल की राजधानी है। इस भव्य शहर में आज भी नूतन एवं पुरातन का विशिष्ट मेल दिखाई पड़ता है। यह वैसे तो काफ़ी बड़ा शहर है, किंतु पर्यटकों की आने-जाने के यहाँ केवल दो केंद्र हैं।

  • पहला केंद्र रेलवे स्टेशन के आसपास का क्षेत्र है, जहाँ राज्य का बस स्टैंड, अनेक होटल तथा पर्यटक सूचना केंद्र हैं।
  • दूसरा महात्मा गांधी मार्ग को कहा जा सकता है जिस पर कई दर्शनीय स्थल हैं।

व्यापार और उद्योग

तिरुअनंतपुरम के उद्योगों में खनिज प्रसंस्करण, वस्त्र एवं हस्तकला से जुड़े उद्योग और चीनी की मिलें शामिल हैं।

कृषि और खनिज

चावल और नारियल की खेती एवं मछली पकड़ना आर्थिक रूप से महत्त्वपूर्ण है। यहाँ लौंग, इलायची, काली मिर्च, काजू, केला, धान, कॉफी, चाय और रबर की अच्छी खेती होती है।

शिक्षण संस्थान

तिरुअनंतपुरम में केरल विश्वविद्यालय (1937) है और इससे संबद्ध महाविद्यालय और तकनीकी विद्यालय हैं।

यातायात और परिवहन

तिरुअनंतपुरम में पर्याप्त यातायात व परिवहन सुविधाएँ उपलब्ध हैं। जो इस प्रकार है:-

वायु मार्ग

तिरुवनंतपुरम अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के लिए चेन्नई, दिल्ली, गोवा, मुंबई से उड़ाने जाती हैं।

रेल मार्ग

पद्मनाभ स्वामी मंदिर, तिरुअनंतपुरम

मंगलोर, अर्नाकुलम, बंगलोर, चेन्नई, दिल्ली, गोवा, मुंबई, कन्याकुमारी और अन्य शहरों से तिरुअनंतपुरम के लिए रेलगाड़ियाँ चलती हैं। त्रिसूर की रोजाना क़रीब सात ट्रेनें यहाँ आती हैं। कोलम और कोच्चि से भी प्रतिदिन यहाँ ट्रेन आती है।

सड़क मार्ग

कोच्चि, चेन्नई, मदुरै, बैंगलोर और कन्याकुमारी से तिरुवनंतपुरम के लिए बसें चलती हैं। लंबी दूरी की बसें सेंट्रल बस स्टेशन केएसआरटीसी, तिरुवनंतपुरम बस टर्मिनल से जाती हैं।

पर्यटन स्थल

देवताओं की नगरी के नाम से मशहूर तिरुअनंतपुरम को महात्मा गांधी ने सदाबहार शहर की संज्ञा दी थी। इस शहर का नाम शेषनाग अनंत के नाम पर पड़ा जिनके ऊपर पद्मनाभस्वामी (भगवान विष्णु) विश्राम करते हैं। अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा बनने के बाद से यह शहर एक प्रमुख पर्यटक और व्यवसायिक केंद्र के रूप में स्थापित हुआ है। इसकी समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर और ख़ूबसूरत तटों से आकर्षित होकर प्रतिवर्ष हज़ारों पर्यटक यहाँ खीचें चले आते हैं।[1]

पीप्पारा बांध, तिरुअनंतपुरम

तिरुअनंतपुरम की खूबियाँ

तिरुअनंतपुरम सात छोटी-छोटी पहाड़ियों पर बसा है। ये पहाडि़याँ कई सदी पूर्व हरे-भरे वनों से आच्छादित थीं, जहाँ कुछ छोटे-छोटे गाँव भी थे। यहाँ के निवासियों को एक बार सबसे ऊँची पहाड़ी पर भगवान विष्णु की दिव्य प्रतिमा मिली थीं। विष्णु भगवान की प्रतिमा उसी जगह पर मंदिर बनाकर स्थापित कर दिया था। यहाँ की आबादी मंदिर की स्थापना के बाद बढ़ती गई और धीरे-धीरे इन पहाडि़यों पर एक शहर बस गया। उस समय यह त्रावनकोर राज्य का एक हिस्सा था जिसकी राजधानी पद्मनाभपुरम थी।

आयुर्वेद

केरल की आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति का लाभ उठाने कोवलम और तिरुअनंतपुरम आने वाले कई पर्यटक आते हैं। दोनों ही जगह कई ऐसे केंद्र हैं जहाँ पर्यटक प्राकृतिक चिकित्सा द्वारा रोगों का निदान पा सकते हैं और स्वास्थ्य लाभ कर सकते हैं। इन केंद्रों में दो प्रकार के पद्धतियों से चिकित्सा होती है।

  1. इनमें एक है कायाकल्प चिकित्सा, जिसमें शरीर को पूरी तरह निरोगी बनाने का प्रयास किया जाता है।
  2. दूसरी है औषधीय चिकित्सा जिसमें रोग विशेष का उपचार किया जाता है। यहाँ विशेषज्ञ चिकित्सकों द्वारा ये उपचार किए जाते हैं।

जनसंख्या

2001 की गणना के अनुसार तिरुअनंतपुरम क्षेत्र की जनसंख्या 7,44,739 है। तिरुअनंतपुरम ज़िले की कुल जनसंख्या 32,34,707 है।

खानपान

त्रिवेंद्रम के हर प्रमुख सड़क के कोने पर चाय और पान की दुकानें मिल जाती है। केले के चिप्स यहाँ की ख़ासियत हैं। स्वादिष्ट केले के चिप्स के लिए कैथामुक्कु या वाईडब्ल्यूसीए रोड, ब्रिटिश लाइब्रेरी के पास जा सकते हैं। यहाँ ताजे और अच्छे चिप्स मिलते हैं। त्रिवेंद्रम में ऐसे कई भोजनालय भी हैं जो उत्तर भारतीय भोजन परोसते हैं। यहाँ नारियल के तेल का प्रयोग प्राय हर व्यंजन में होता है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

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