जयप्रकाश नारायण
जयप्रकाश नारायण
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पूरा नाम | जयप्रकाश नारायण |
अन्य नाम | लोकनायक, जेपी, जयप्रकाश |
जन्म | 11 अक्टूबर, सन् 1902 |
जन्म भूमि | सिताबदियारा, बिहार |
मृत्यु | 8 अक्टूबर, सन् 1979 |
मृत्यु स्थान | पटना, बिहार |
अभिभावक | देवकी बाबू, फूलरानी देवी |
पति/पत्नी | प्रभावती |
नागरिकता | भारतीय |
पार्टी | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, जनता पार्टी |
शिक्षा | एम. ए (समाजशास्त्र से) |
विद्यालय | सन 1922 से 1929 ई. के बीच कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, बरकली, विसकांसन विश्वविद्यालय |
जेल यात्रा | 7 मार्च सन् 1940 को ब्रिटिश पुलिस द्वारा, हज़ारी बाग़ जेल में क़ैद, आगरा सेन्ट्रल जेल |
पुरस्कार-उपाधि | भारत रत्न, रेमन मैग्सेसे पुरस्कार |
अन्य जानकारी | जयप्रकाश जी का समाजवाद का नारा आज भी गूँज रहा है। समाजवाद का सम्बन्ध न केवल उनके राजनीतिक जीवन से था, अपितु यह उनके सम्पूर्ण जीवन में समाया हुआ था। |
जयप्रकाश नारायण (अंग्रेज़ी: Jayaprakash Narayan, जन्म: 11 अक्तूबर, 1902; मृत्यु: 8 अक्तूबर, 1979) राजनीतिज्ञ और सिद्धांतवादी नेता थे। मातृभूमि के वरदपुत्र जयप्रकाश नारायण ने हमारे देश की सराहनीय सेवा की है। लोकनायक जयप्रकाश नारायण त्याग एवं बलिदान की प्रतिमूर्ति थे। कहा गया है–
होनहार वीरवान के होत चीकने पात
जयप्रकाश विचार के पक्के और बुद्धि के सुलझे हुए व्यक्ति थे। जयप्रकाश जी देश के सच्चे सपूत थे। जयप्रकाश ने देश को अन्धकार से प्रकाश की ओर लाने का सच्चा प्रयास किया, जिसमें वह पूरी तरह से सफल रहे हैं। लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने भारतीय जनमानस पर अपना अमिट छाप छोड़ी है। जयप्रकाश जी का समाजवाद का नारा आज भी गूँज रहा है। समाजवाद का सम्बन्ध न केवल उनके राजनीतिक जीवन से था, अपितु यह उनके सम्पूर्ण जीवन में समाया हुआ था।
जीवन परिचय
जयप्रकाश का जन्म 11 अक्तूबर, 1902 ई. में सिताबदियारा बिहार में हुआ था। इनके पिता का नाम श्री 'देवकी बाबू' और माता का नाम 'फूलरानी देवी' थीं। इन्हें चार वर्ष तक दाँत नहीं आया, जिससे इनकी माताजी इन्हें 'बऊल जी' कहती थीं। इन्होंने जब बोलना आरम्भ किया तो वाणी में ओज झलकने लगा। 1920 में जयप्रकाश का विवाह 'प्रभा' नामक लड़की से हुआ। प्रभावती स्वभाव से अत्यन्त मृदुल थीं। गांधी जी का उनके प्रति अपार स्नेह था। प्रभा से शादी होने के समय और शादी के बाद में भी गांधी जी से उनके पिता का सम्बन्ध था, क्योंकि प्रभावती के पिता श्री 'ब्रजकिशोर बापू' चम्पारन में जहाँ गांधी जी ठहरे थे, प्रभा को साथ लेकर गये थे। प्रभा विभिन्न राष्ट्रीय उत्सवों और कार्यक्रमों में भाग लेती थीं।