डॉ. राधाबाई
डॉ. राधाबाई
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पूरा नाम | डॉ. राधाबाई |
जन्म | 1875 ई. |
जन्म भूमि | नागपुर, महाराष्ट्र |
मृत्यु | 2 जनवरी, 1950 |
नागरिकता | भारतीय |
प्रसिद्धि | स्वतंत्रता सेनानी तथा समाज सुधारक |
धर्म | हिन्दू |
जेल यात्रा | डॉ. राधाबाई 1930 से 1942 तक हर एक 'सत्याग्रह' में वे भाग लेती रहीं और न जाने कितनी ही बार जेल गईं। |
विशेष योगदान | डॉ. राधाबाई का एक बहुत ही महत्वपूर्ण काम था "वेश्यावृत्ति में लगी बहनों को मुक्ति दिलाना"। |
संबंधित लेख | सत्याग्रह, महात्मा गाँधी, गाँधी युग |
अन्य जानकारी | अस्पृश्यता के विरोध में राधाबाई ने बहुत ही महत्त्वपूर्ण काम किया। सफ़ाई कामगारों की बस्ती में वे जाती थीं। बस्ती की सफ़ाई करतीं, कामगारों के बच्चों को बड़े प्रेम से नहलातीं और बच्चों को पढ़ाती भी थीं। |
डॉ. राधाबाई (अंग्रेज़ी: Dr. Radhabai, जन्म- 1875 ई., नागपुर, महाराष्ट्र; मृत्यु- 2 जनवरी, 1950) प्रसिद्ध महिला स्वतंत्रता सेनानी तथा समाज सुधारकों में से एक थीं। वे राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के सभी आंदोलनों में आगे रहीं। कौमी एकता, स्वदेशी, नारी-जागरण, अस्पृश्यता निवारण, शराबबंदी, इन सभी आन्दोलनों में उनकी भूमिका बहुत ही महत्त्वपूर्ण रही। समाज में प्रचलित कई कुप्रथाओं को समाप्त करने में भी राधाबाई का योगदान अविस्मरणीय है।
जन्म
राधाबाई का जन्म नागपुर, महाराष्ट्र में सन 1875 ई. में हुआ था। उनका बहुत कम आयु में ही बाल विवाह हो गया था। जब वे मात्र नौं वर्ष की ही थीं, तभी विधवा हो गईं। पड़ोसिन के घर में उन्हें प्यारी-सी सखी मिली, जिसके साथ वे रहने लगीं। उसी के साथ वे हिन्दी सीखने लगीं और साथ ही दाई का काम भी करने लगीं थीं। लेकिन पड़ोसिन सखी भी एक दिन चल बसी। उसके बेटा-बेटी राधाबाई के भाई-बहन बने रहे। किसी को पता भी नहीं चलता था कि वे दूसरे परिवार की हैं।[1]
व्यावसायिक शुरुआत
सन 1918 में राधाबाई रायपुर आईं और नगरपालिका में दाई का काम करने लगीं। इतने प्रेम और लगन से वे अपना काम करतीं कि सबके लिए माँ बन गई थीं। जन उपाधि के रूप में राधाबाई डॉ. कहलाने लगी थीं। उनके सेवाभाव को देखकर नगरपालिका ने उनके लिए टाँगे-घोड़े का इन्तजाम किया था।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.0 1.1 1.2 डॉ. राधाबाई : स्वतंत्रता सेनानी (हिन्दी) इग्निका। अभिगमन तिथि: 12 जून, 2015।