ज्ञानचंद्र मजूमदार
क्रांतिकारी ज्ञानचंद्र मजूमदार का जन्म पूर्वी बंगाल के मैमनसिंह ज़िले में 1899 ई. में एक सम्पन्न परिवार में हुआ था। उनके पिता मजिस्ट्रेट थे। ज्ञानचंद्र के अन्दर विदेशी दासता से छुटकारा पाने की भावना बचपन से ही थी।
- सदस्य
अपने आगे के अध्ययन के लिए वे ढाका पहुंचे तो उनका संपर्क ऐसे लोगों से हुआ जो देश की स्वतंत्रता के समर्थक थे। उसी समय पुलिन बिहारी दास के नेतृत्व में क्रांतिकारी संगठन 'अनुशीलन समिति' की स्थापना हुई। वे आरंभ में ही इस समिति के सदस्य बन गए। 1906 और 1910 के बीच 'अनुशीलन समिति' की ओर जितने भी 'एक्शन' हुए, सब में ज्ञानचंद्र ने आगे बढ़कर हिस्सा लिया।
- नज़रबंद
वे क्रांतिकारी कार्यों के साथ-साथ अध्ययन भी करते रहे। 1910 में बी. एस-सी. करने के बाद आगे अध्ययन के लिए वे कोलकाता पहुंचे, पर इसमें उन्हें सफलता नहीं मिल पाई। उनकी गतिविधियों पर पुलिस बराबर नजर रख रही थी। अंततः 1916 में वे नज़रबंद कर लिए गए और प्रथम विश्वयुद्ध समाप्त होने के बाद 1919 में ही रिहा हो सके।
- जेल यात्रा
इस बीच देश का नेतृत्व गांधी जी के हाथों में आ चुका था। अपने अन्य साथियों के सहित ज्ञानचंद्र भी कांग्रेस के सदस्य बनकर असहयोग आंदोलन में सम्मिलित हो गए। 1921 से 1923 तक वे जेल में रहे। 1930 में फिर गिरफ्तार हुए और 1938 में ही छूट सके। द्वितीय विश्वयुद्ध आरंभ होने पर 1940 में जो गिरफ्तार हुए तो 1946 तक बंद रहे।
- निधन