लाला शंकर लाल
लाला शंकर लाल
| |
पूरा नाम | लाला शंकर लाल |
जन्म | 1885 |
जन्म भूमि | अंबाला ज़िला |
मृत्यु | 1950 |
नागरिकता | भारतीय |
धर्म | हिंदू |
जेल यात्रा | 1921 के आंदोलन में भाग लेने के कारण तीन वर्ष की सज़ा मिली। |
विद्यालय | डी. ए. वी. कॉलेज, लाहौर |
संबंधित लेख | हकीम अजमल ख़ाँ, आसफ अली |
अन्य जानकारी | लाला शंकर लाल जाति, धर्म, लिंग, आदि पर आधारित भेदभाव के विरोधी थे। इनकी मान्यता थी कि देश की स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए हमें सभी उपलब्ध साधनों का प्रयोग करना चाहिए। |
अद्यतन | 16:10, 22 जून 2017 (IST)
|
लाला शंकर लाल (अंग्रेज़ी: Lala Shankar Lal, जन्म- 1885 ई. अंबाला ज़िला, पंजाब; मृत्यु- 1950) भारत के स्वतंत्रता सेनानियों में से एक थे। ये दिल्ली के प्रसिद्ध सार्वजनिक कार्यकर्त्ता भी थे। इन्होंने होमरूल लीग की शाखा की स्थापना भी की थी। 1921 के आंदोलन के कारण ये 3 वर्ष तक जेल में रहे। हकीम अजमल ख़ाँ, आसफ अली आदि इनके सहकर्मी थे।[1]
परिचय
लाला शंकर लाल का जन्म 1885 ई. में अंबाला ज़िले में एक देशभक्त परिवार में हुआ था। इन्होंने डी.ए. वी. कॉलेज, लाहौर से शिक्षा प्राप्त की थी। इनके दादा हरदेव सहाय को 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने के कारण अंग्रेज़ों ने फ़ाँसी पर लटका दिया था।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ भारतीय चरित कोश |लेखक: लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय' |प्रकाशक: शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली |संकलन: भारतकोश पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 765 |