गौरीशंकर मिश्र

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गौरीशंकर मिश्र (जन्म- 1888 ई., गोरखपुर, उत्तर प्रदेश; मृत्यु- दिसम्बर, 1955 ई.) पण्डित मोतीलाल नेहरू के सहयोगी तथा प्रसिद्ध राष्ट्रीय कार्यकर्ता थे। इन्हें वर्ष 1922-1923 में कांग्रेस का महामंत्री भी बनाया गया था। कुछ वर्षों तक गौरीशंकर मिश्र जी 'हिन्दू महासभा' के सदस्य भी रहे थे। इन्होंने पूर्वी उत्तर प्रदेश के किसानों और मज़दूरों की समस्याओं की ओर विशेष ध्यान दिया था।[1]

  • प्रसिद्ध राष्ट्रीय कार्यकर्ता गौरीशंकर मिश्र जी का जन्म 1888 ई. में उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में हुआ था।
  • इन्होंने 'इलाहाबाद विश्वविद्यालय' से एम.ए. और एल.एल.बी. की परीक्षाएँ उत्तीर्ण की थीं।
  • अपने विद्यार्थी जीवन में ही गौरीशंकर मिश्र एनी बेसेंट और मदनमोहन मालवीय जी के प्रभाव में आ चुके थे।
  • 1916 में वे मोतीलाल नेहरू के सहायक के रूप में काम करने लगे, किंतु महात्मा गाँधी द्वारा 'असहयोग आंदोलन' आरंभ किये जाते ही उन्होंने वकालत छोड़ दी और आंदोलन में सम्मलित हो गए।
  • गौरीशंकर मिश्र ही मोतीलाल नेहरू और जवाहरलाल नेहरू को अवध के किसानों की दयनीय दशा दिखाने के लिये देहातों में ले गए थे।
  • वर्ष 1921 में गौरीशंकर मिश्र अंग्रेज़ सरकार द्वारा गिरफ़्तार कर लिए गए थे।
  • गौरीशंकर जी ने 1922-1923 में कांग्रेस के महामंत्री के रूप में भी काम किया। बीच के कुछ वर्षों तक मदनमोहन मालवीय की प्रेरणा से वे 'हिन्दू महासभा' के सदस्य भी रहे।
  • 1935 में गौरीशंकर मिश्र पुनः कांग्रेस में सम्मलित हो गए और द्वितीय विश्वयुद्ध के दिनों में अपनी रचनाओं और नाटकों के माध्यम से हिटलर और नाज़ीवाद के विरुद्ध प्रचार करते रहे।
  • स्वतंत्रता के बाद उन्होंने पूर्वी उत्तर प्रदेश के किसानों और मज़दूरों की समस्य्याओं की ओर ध्यान दिया था।
  • 'गोरखपुर ज़िला परिषद' के अध्यक्ष का पद भी गौरीशंकर मिश्र जी ने सम्भाला था।
  • दिसम्बर, 1955 में गौरीशंकर मिश्र जी का देहांत हुआ।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. भारतीय चरित कोश |लेखक: लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय' |प्रकाशक: शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली |लिंक:- [256]

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