उड़िया भाषा
उड़िया भाषा उड़ीसा राज्य की मुख्य भाषा है, जिसने भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में मान्यता प्राप्त की है। इस भाषा की तीन प्रमुख बोलियाँ हैं–
- संबलपुरी (पश्चिमी उड़िया),
- देसिया (दक्षिणी उड़िया) और
- कटकी (तटीय उड़िया)।
इनमें से अन्तिम बोली मानक है और विद्यालय स्तर पर शिक्षा के माध्यम के रूप में इसका उपयोग होता है। ओड़िसा की भाषा और जाति दोनों ही अर्थो में 'उड़िया' का प्रयोग होता है, किंतु वास्तव में ठीक रूप 'ओड़िया' होना चाहिए। इसकी व्युत्पत्ति का विकासक्रम कुछ विद्वान् इस प्रकार मानते हैं : ओड्रविषय, ओड्रविष, ओडिष, आड़िषा या ओड़िशा। सबसे पहले भरत के नाट्यशास्त्र में उड्रविभाषा का उल्लेख मिलता है-
'शबराभीरचांडाल सचलद्राविडोड्रजा:। हीना वनेचराणां च विभाषा नाटके स्मृता:।'[1]
भाषा की उत्पत्ति
भाषातात्विक दृष्टि से उड़िया भाषा में आर्य, द्रविड़ और मुंडारी भाषाओं के संमिश्रित रूपों का पता चलता है, किंतु आज की उड़िया भाषा का मुख्य आधार भारतीय आर्यभाषा है। साथ ही साथ इसमें संथाली, मुंडारी, शबरी, आदि मुंडारी वर्ग की भाषाओं के और औराँव, कुई (कंधी) तेलुगु आदि द्रविड़ वर्ग की भाषाओं के लक्षण भी पाए जाते हैं। उड़िया भारतीय भाषा परिवार के पूर्व समूह से सम्बद्ध है और इसकी उत्पत्ति अर्द्ध मागधी प्राकृत से हुई है। कहा जाता है कि 10वीं शताब्दी में यह अलग भाषा के रूप में उभरी। इसके बाद की सदियों में यह मुख्यतः द्रविड़ भाषाओं, अरबी, फ़ारसी और अंग्रेज़ी के सम्पर्क में आई। तमिल, तेलुगु, मराठी, फ़ारसी, अरबी, तुर्की, फ़्रेंच, पुर्तग़ाली, अंग्रेज़ी और संस्कृत के गृहीत शब्दों से इसकी शब्दावली समृद्ध हुई।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 2 |प्रकाशक: नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 59 |
- ↑ मूल स्वरूप के निकट
- ↑ किसी स्वर या अक्षर का उच्चारण के समय लोप
- ↑ एक ही अर्थ वाले विभिन्न शब्द
- ↑ तीन मूर्धन्य–जिनका उच्चारण तालू पर जिह्वा के मुड़े हुए शीर्ष के स्पर्श से होता है