नासिक
नासिक
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विवरण | 'नासिक' एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है, जो दक्षिण-पश्चिमी भारत के पश्चिमोत्तर महाराष्ट्र राज्य में गोदावरी नदी के किनारे बसा हुआ है। |
राज्य | महाराष्ट्र |
भौगोलिक स्थिति | 20.00° उत्तर 73.78°पूर्व |
मार्ग स्थिति | यह मुंबई से 180 कि.मी. पूर्वोत्तर में प्रमुख सड़क और रेलमार्ग पर स्थित है। |
कब जाएँ | कभी भी जा सकते हैं |
कैसे पहुँचें | हवाई जहाज, रेल, बस, टैक्सी |
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गांधीनगर हवाई अड्डा, नासिक |
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देश के लगभग हर कोने से नासिक रोड स्टेशन और देवलाली स्टेशन तक रेल से पहुँचा जा सकता है। |
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ओमकार नगर बस डिपो, नासिक |
क्या देखें | कालाराम मंदिर, नारायण का मंदिर, सीता गुफ़ा आदि |
एस.टी.डी. कोड | 0-253 |
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गूगल मानचित्र |
संबंधित लेख | त्र्यम्बकेश्वर, इगतपुरी, चक्रतीर्थ |
नामकरण | माना जाता है कि श्रीराम के अनुज लक्ष्मण ने इसी स्थान पर लंका के राजा रावण की बहन शूर्पणखा की नाक काटी थी, जिस कारण इस स्थान का नाम नासिक पड़ा। |
अन्य जानकारी | 1680 ई. में लिखित 'तारीखे-औरंगज़ेब' के अनुसार, नासिक के 25 मंदिर औरंगज़ेब की धर्मांधता के शिकार हुए थे। इन विनिष्ट मंदिरों में नारायण, उमामहेश्वर, राम जी, कपालेश्वर और महालक्ष्मी के मंदिर उल्लखेनीय है। |
बाहरी कड़ियाँ | अधिकारिक वेबसाइट |
नासिक / नाशिक (अंग्रेज़ी:Nashik) शहर दक्षिण-पश्चिमी भारत के पश्चिमोत्तर महाराष्ट्र राज्य में गोदावरी नदी के किनारे बसा हुआ है। यह मुंबई से 180 कि.मी. पूर्वोत्तर में प्रमुख सड़क और रेलमार्ग पर स्थित है। नासिक एक महत्त्वपूर्ण धार्मिक केंद्र है। प्रतिवर्ष यहाँ हज़ारों तीर्थयात्री गोदावरी नदी की पवित्रता और महाकाव्य रामायण के नायक भगवान श्रीराम द्वारा अपनी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ यहाँ कुछ समय तक निवास करने की किंवदंती के कारण आते हैं।
नामकरण
कहा जाता है कि रामायण में वर्णित पंचवटी, जहाँ श्रीराम, लक्ष्मण और सीता सहित वनवास काल में बहुत दिनों तक रहे थे, नासिक के निकट ही है। किंवदंती है कि इसी स्थान पर लंका के राजा रावण की भगिनी (बहन) शूर्पणखा को लक्ष्मण ने नासिका विहीन किया था, जिसके कारण इस स्थान को 'नासिक' कहा जाता है। नासिक हिन्दुओं की आस्था प्राकृतिक सौन्दर्य का अनोखा मिश्रण है।
इतिहास

नासिक में 200 ई. पू. से द्वितीय शती ई. तक की पांडुलेण नामक बौद्ध गुफ़ाओं का एक समूह है। इसके अतिरिक्त जैनों के आठवें तीर्थंकर चंद्र प्रभस्वामी और कुंतीबिहार नामक जैन चैत्य के 14वीं शती में यहाँ होने का उल्लेख जैन लेखक जिनप्रभु सूरि के ग्रंथों में मिलता है। 1680 ई. में लिखित 'तारीखे-औरंगज़ेब' के अनुसार, नासिक के 25 मंदिर औरंगज़ेब की धर्मांधता के शिकार हुए थे। इन विनिष्ट मंदिरों में नारायण, उमामहेश्वर, राम जी, कपालेश्वर और महालक्ष्मी के मंदिर उल्लखेनीय है। इन मंदिरों की सामग्री से यहाँ की जामा मस्जिद की रचना की गई। मस्जिद के स्थान पर पहले महालक्ष्मी का मंदिर स्थित था। नीलकंठेश्वर महादेव के उस प्राचीन मंदिर की चौखट, जो असरा फाटक के पास था, अब भी इसी मंदिर में लगी दिखाई देती है।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ श्राद्ध स्थल जहाँ मिलती है प्रेतयोनी से मुक्ति (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 19 सितम्बर, 2013।
- ↑ घूमने का पुण्य (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 19 सितम्बर, 2013।
- ↑ सेनार्ट पृ. 363
- ↑ कुंती पल्लबिहार तारणगढ़े