कुप्पाली वेंकटप्पा पुटप्पा
कुप्पाली वेंकटप्पा पुटप्पा
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पूरा नाम | कुप्पाली वेंकटप्पा गौड़ा पुटप्पा |
अन्य नाम | कुवेम्पु |
जन्म | 29 दिसम्बर, 1904 |
जन्म भूमि | कुप्पली गांव, ज़िला शिवमोगा, कर्नाटक |
मृत्यु | 11 नवम्बर, 1994 |
मृत्यु स्थान | मैसूर |
अभिभावक | पिता- वेंकटप्पा गौड़, माता- सीथम्मा |
संतान | दो पुत्र, दो पुत्री |
कर्म भूमि | भारत |
कर्म-क्षेत्र | कन्नड़ लेखक व कवि |
मुख्य रचनाएँ | 'श्रीरामायण दर्शनम्', 'अमलन कथे', 'पांचजन्य', 'अनिकेतन', 'शूद्र तपस्वी', 'वाल्मीकीय भाग्य', 'तपोनंदन' आदि। |
पुरस्कार-उपाधि | पद्म भूषण (1958), पद्म विभूषण (1989), साहित्य अकादमी पुरस्कार (1955), ज्ञानपीठ पुरस्कार (1968) आदि। |
नागरिकता | भारतीय |
अन्य जानकारी | कुप्पाली वेंकटप्पा पुटप्पा को 1956 में मैसूर विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में चुना गया था, जहां उन्होंने 1960 में सेवानिवृत्ति तक अपनी सेवाएँ दीं। |
इन्हें भी देखें | कवि सूची, साहित्यकार सूची |
कुप्पाली वेंकटप्पा पुटप्पा (अंग्रेज़ी: Kuppali Venkatappa Puttappa, जन्म- 29 दिसम्बर, 1904, शिवमोगा, कर्नाटक; मृत्यु- 11 नवम्बर, 1994, मैसूर) कन्नड़ भाषा के कवि व लेखक थे। उन्हें 20वीं शताब्दी के महानतम कन्नड़ कवि की उपाधि दी जाती है। कन्नड़ भाषा में ज्ञानपीठ सम्मान पाने वाले सात व्यक्तियों में कुप्पाली वेंकटप्पा पुटप्पा प्रथम थे। कुप्पाली वेंकटप्पा पुटप्पा ने अपने सभी साहित्यिक कार्य उपनाम 'कुवेम्पु' से किये हैं। साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में सन 1958 में कुप्पाली वेंकटप्पा पुटप्पा को 'पद्म भूषण' से भी सम्मानित किया गया था।[1]
विषय सूची
परिचय
कुप्पाली वेंकटप्पा पुटप्पा उर्फ 'केवेम्पु' का जन्म 29 दिसम्बर, 1904 को कर्नाटक में शिवमोगा ज़िले के कुपल्ली नामक गांव में एक कन्नड़ परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम 'वेंकटप्पा गौड़' और माँ का नाम 'सीथम्मा' था। वह जब 12 साल के थे, तभी उनके पिता का देहांत हो गया। उन्होंने 30 अप्रैल, 1937 को 'हेमवती' नाम की युवती से विवाह किया और वैवाहिक जीवन में प्रवेश किया। वे दो पुत्र और दो पुत्रियों के पिता थे।
कुप्पाली वेंकटप्पा पुटप्पा ने अपनी प्राथमिक पढ़ाई घर में ही पूरी की, उसके बाद माध्यमिक शिक्षा मैसूर के हाईस्कूल से पूरी की। उन्होंने 1929 में महाराजा कॉलेज, मैसूर से अपनी स्नातक की शिक्षा पूर्ण की और उसके तुरंत बाद उन्होंने महाराजा कॉलेज में ही प्राध्यापक के रूप में नौकरी करके अपने व्यावसायिक जीवन की शुरूआत की। बाद में 1936 में केंद्रीय विद्यालय, बैंगलोर में सहायक प्रोफेसर के रूप में काम किया और 1946 को फिर से महाराजा कॉलेज में लौट आये। 1956 में उन्हें मैसूर विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में चुना गया, जहां उन्होंने 1960 में सेवानिवृत्ति तक अपनी सेवाएँ दीं।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ कुप्पाली वी गौड़ा पुटप्पा जीवन परिचय (हिन्दी) notedlife.com। अभिगमन तिथि: 29 दिसम्बर, 2017।
- ↑ Institute of Kannada Studies
- ↑ untouchable saint
- ↑ Kuppali Venkatappa Puttappa उर्फ Kuvempu का गूगल डूडल (हिन्दी) tophunt.in। अभिगमन तिथि: 29 दिसम्बर, 2017।
- ↑ कुवेम्पु के नॉवेल पर बनी फिल्म को मिला था बेस्ट फीचर फिल्म का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार (हिन्दी) jansatta.com। अभिगमन तिथि: 29 दिसम्बर, 2017।
बाहरी कड़ियाँ
- Kuvempu Sahitya : Vividh Aayam
- फिल्म की वजह से बढ़ गई थी Kuvempu के Novel की बिक्री
- Kuvempu- His Birth, Childhood and Life