स्वयं प्रकाश

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स्वयं प्रकाश
स्वयं प्रकाश
पूरा नाम स्वयं प्रकाश
जन्म 20 जनवरी, 1947
जन्म भूमि इंदौर, मध्य प्रदेश
मृत्यु 7 दिसम्बर, 2019
मृत्यु स्थान मुम्बई, महाराष्ट्र
कर्म भूमि भारत
कर्म-क्षेत्र हिंदी साहित्य
मुख्य रचनाएँ जलते जहाज पर, ज्योति रथ के सारथी, उत्तर जीवन कथा, बीच में विनय, 'ईंधन' और सूरज कब निकलेगा आदि।
शिक्षा एमए (हिंदी), पीएचडी (1980), मैकेनिकल इंजीनियरिंग
पुरस्कार-उपाधि राजस्थान साहित्य अकादमी, रांघेय राघव पुरस्कार, पहल सम्मान, सुभद्रा कुमारी चौहान पुरस्कार, विशिष्ट साहित्यकार सम्मान आदि।
प्रसिद्धि साहित्यकार, कहानीकार, उपन्यासकार
नागरिकता भारतीय
अन्य जानकारी स्वयं प्रकाश को प्रेमचंद की परंपरा का महत्वपूर्ण कथाकार माना जाता है। इनकी कहानियों का अनुवाद रूसी भाषा में भी हो चुका है।
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची

स्वयं प्रकाश (अंग्रेज़ी: Swayam Prakash, जन्म- 20 जनवरी, 1947; मृत्यु- 7 दिसम्बर, 2019) हिंदी साहित्यकार थे। मुख्य रूप से उन्होंने एक कहानीकार के रूप में प्रसिद्धि पाई। उपन्यास तथा हिंदी की और भी कई विधाओं को उन्होंने अपनी कलम से समृद्ध बनाया। स्वयं प्रकाश के लिखे उपन्यास 'जलते जहाज पर' (1982), 'ज्योति रथ के सारथी' (1987), 'उत्तर जीवन कथा' (1993), 'बीच में विनय' (1994) और 'ईंधन' (2004) हैं। ‘सूरज कब निकलेगा’ राजस्थान के मारवाड़ इलाके में 70 के दशक में आई बाढ़ पर लिखी गयी कहानी है। राजस्थान स्वयं प्रकाश की कहानियों में अक्सर पाया जाता था।

परिचय

20 जनवरी, 1947 को इंदौर में जन्मे स्वयं प्रकाश अपनी कहानियों और उपन्यासों के लिये विख्यात थे। उन्होंने हिंदी से एमए किया था और साल 1980 में उन्हें पीएचडी की उपाधि मिली। इसके अलावा उन्होंने मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री भी हासिल की थी। कहानी लेखन शुरू करने से पहले वह कविताएं लिखते थे और विभिन्न मंचों पर इनका पाठ भी किया करते थे। उन्होंने पांच उपन्यास लिखे जबकि उनके नौ कहानी संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं।

वरिष्ठ कथाकार स्वयं प्रकाश को प्रेमचंद की परंपरा का महत्वपूर्ण कथाकार माना जाता है। इनकी कहानियों का अनुवाद रूसी भाषा में भी हो चुका है। स्वयं प्रकाश 'हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड' में सतर्कता अधिकारी और हिंदी अधिकारी रहे थे। विगत लगभग दो दशकों से वह भोपाल में रह रहे थे। प्रगतिशील लेखक संघ की मुखपत्रिका ‘वसुधा’ और बच्चों की चर्चित पत्रिका ‘चकमक’ के संपादक रहे स्वयं प्रकाश के एक दर्जन से अधिक कहानी संग्रह और पांच उपन्यास प्रकाशित हुए थे।

भाषा-शैली

अपनी अधिकतर रचनाओं में वे मध्यम वर्गीय जीवन के विविध पक्षों को सामने लाते हुए स्वयं प्रकाश अंतर्विरोधों, कमजोरियों और ताकतों को कुछ इस तरह से प्रस्तुत करते हैं कि वे हमारे अपने अनुभव संसार का हिस्सा बन जाते हैं। साम्प्रदायिकता एक और ऐसा इलाका है जहां स्वयं प्रकाश की रचनाशीलता अपनी पूरी क्षमता के साथ प्रदर्शित होती है। स्वयं प्रकाश की खिलंदड़ी भाषा और अत्यधिक सहज शैली का निजी और मौलिक प्रयोग उन्हें हमारे समय के सर्वाधिक लोकप्रिय कथाकार बनाता हैं।

लेखन कार्य

स्वयं प्रकाश के लिखे उपन्यास 'जलते जहाज पर' (1982), 'ज्योति रथ के सारथी' (1987), 'उत्तर जीवन कथा' (1993), 'बीच में विनय' (1994) और 'ईंधन' (2004) हैं। ‘सूरज कब निकलेगा’ राजस्थान के मारवाड़ इलाके में 70 के दशक में आई बाढ़ पर लिखी गयी कहानी थी। राजस्थान में रहते हुए स्वयं प्रकाश ने अपने मित्र मोहन श्रोत्रिय के साथ लघु पत्रिका ‘क्यों’ का संपादन-प्रकाशन किया तो ‘फीनिक्स’, ‘चौबोली’ और ‘सबका दुश्मन’ जैसे नाटक भी लिखे।

इसके अलावा 'मात्रा और भार' (1975), 'सूरज कब निकलेगा' (1981), 'आसमां कैसे-कैसे' (1982), 'अगली किताब' (1988), 'आएंगे अच्छे दिन भी' (1991), 'आदमी जात का आदमी' (1994), 'अगले जनम' (2002), 'संधान' (2006), 'छोटू उस्ताद' (2015) नाम से उनके कहानी संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं।[1]

सम्मान तथा पुरस्कार

अपने समकालीन कथाकारों-कवियों-संस्कृतिकर्मियों पर केन्द्रित रेखाचित्रों के संकलन 'हमसफ़रनामा' के लिए स्वयं प्रकाश के गद्य और चित्रण की बड़ी चर्चा हुई है। इससे पहले स्वयं प्रकाश को 'राजस्थान साहित्य अकादमी' के 'रांघेय राघव पुरस्कार' तथा 'पहल सम्मान' से नवाजा जा चुका है। उन्हें 'वनमाना सम्मान', 'सुभद्रा कुमारी चौहान पुरस्कार', 'विशिष्ट साहित्यकार सम्मान', 'भवभूति सम्मान' भी मिला। वर्ष 2011 के प्रतिष्ठित ‘आनंद सागर कथाक्रम सम्मान’ से भी नवाजा गया। यह सम्मान हर वर्ष कथा लेखन के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान करने वाले लेखक को दिया जाता है।

मृत्यु

कथाकार स्वयं प्रकाश की मृत्यु 7 दिसम्बर, 2019 को मुम्बई, महाराष्ट्र में हुई।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हिंदी के प्रसिद्ध कथाकार स्वयं प्रकाश का निधन (हिंदी) thewirehindi.com। अभिगमन तिथि: 29 अगस्त, 2020।

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