शिवराम महादेव परांजपे
शिवराम महादेव परांजपे
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पूरा नाम | शिवराम महादेव परांजपे |
जन्म | 27 जून, 1864 |
जन्म भूमि | कोलाबा ज़िला, महाराष्ट्र |
मृत्यु | 27 सितंबर, 1929 |
कर्म भूमि | भारत |
मुख्य रचनाएँ | शिवराम जी ने चार नाटक, दो उपन्यास और 'मराठा युद्ध का इतिहास' जैसे ग्रंथ लिखे तथा कई संस्कृत ग्रंथों के अनुवाद किए। |
प्रसिद्धि | पत्रकार, लेखक, राजनीतिक चिंतक एवं ओजस्वी वक्ता |
नागरिकता | भारतीय |
अन्य जानकारी | शिवराम महादेव परांजपे ने जन-जागरण के लिए 1895 में मराठी साप्ताहिक 'काल' का प्रकाशन आरंभ किया। उनके राजनीतिक जीवन का प्रारंभ इसी पत्र के साथ होता है। |
इन्हें भी देखें | कवि सूची, साहित्यकार सूची |
शिवराम महादेव परांजपे (अंग्रेज़ी: Shivram Mahadev Paranjape, जन्म- 27 जून, 1864, कोलाबा ज़िला, मृत्यु- 27 सितंबर, 1929) मराठी भाषा के प्रसिद्ध पत्रकार, लेखक, राजनीतिक चिंतक एवं ओजस्वी वक्ता थे। उन्होने 'काल' नामक साप्ताहिक द्वारा महाराष्ट्र में ब्रितानी शासन के विरुद्ध जनचेतना के निर्माण में सफलता पायी थी। शिवराम महादेव की लेखनी बड़ी ही प्रभावकारी थी। वे सभी विषयों पर लिखा करते थे। उनमें ऐसी अद्भुत क्षमता थी कि अपने भाषणों से सुनने वालों को मुग्ध कर देते थे।
परिचय
शिवराज महादेव परांजपे का जन्म 27 जून, 1864 ई. को कोलाबा ज़िले के महाद्र नामक स्थान पर चितपावन ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उन्होंने संस्कृत की उच्च शिक्षा प्राप्त की थी। उनके जीवन को सही दिशा देने में लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक का बहुत प्रभाव रहा। शिक्षा पूरी करने के बाद परांजपे ने महाराष्ट्र कॉलेज, पूना में संस्कृत के अध्यापक के रूप में काम आरंभ किया। वे तिलक के कहने पर 'पूना सार्वजनिक सभा' के सचिव भी बन गए। इसी बीच 'शिवाजी' और 'गणपति उत्सव' में उनके जोशीले भाषणों की सरकार की तरफ से बड़ी आलोचना हुई और पराजंपे ने कॉलेज से त्यागपत्र दे दिया।[1]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ भारतीय चरित कोश |लेखक: लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय' |प्रकाशक: शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली |पृष्ठ संख्या: 845 |