वृंदावनलाल वर्मा
वृंदावनलाल वर्मा
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पूरा नाम | वृंदावनलाल वर्मा |
जन्म | 9 जनवरी, 1889 |
जन्म भूमि | मऊरानीपुर, झाँसी (उत्तर प्रदेश) |
मृत्यु | 23 फ़रवरी, 1969 |
अभिभावक | अयोध्या प्रसाद (पिता) |
कर्म भूमि | उत्तर प्रदेश |
कर्म-क्षेत्र | उपन्यासकार एवं निबंधकार |
मुख्य रचनाएँ | 'गढ़ कुण्डार', 'लगन', 'मुसाहिब जू', 'कभी न कभी', 'झाँसी की रानी', 'कचनार' आदि। |
विषय | ऐतिहासिक, सामाजिक |
भाषा | हिन्दी, बुन्देलखण्डी |
शिक्षा | बी.ए. |
पुरस्कार-उपाधि | साहित्य पुरस्कार, डी. लिट. |
नागरिकता | भारतीय |
अद्यतन | 15:16, 24 फ़रवरी 2013 (IST)
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इन्हें भी देखें | कवि सूची, साहित्यकार सूची |
वृंदावनलाल वर्मा (अंग्रेज़ी: Vrindavan Lal Verma, जन्म: 9 जनवरी, 1889; मृत्यु: 23 फ़रवरी, 1969) ऐतिहासिक उपन्यासकार एवं निबंधकार थे। इनका जन्म मऊरानीपुर, झाँसी (उत्तर प्रदेश) में हुआ था। इनके पिता का नाम अयोध्या प्रसाद था। वृंदावनलाल वर्मा जी के विद्या-गुरु स्वर्गीय पण्डित विद्याधर दीक्षित थे।
विषय सूची
जीवन परिचय
वृंदावनलाल वर्मा की पौराणिक तथा ऐतिहासिक कथाओं के प्रति बचपन से ही रुचि थी। इनकी प्रारम्भिक शिक्षा भिन्न-भिन्न स्थानों पर हुई। बी.ए. करने के पश्चात् इन्होंने क़ानून की परीक्षा पास की और झाँसी में वकालत करने लगे। इनमें लेखन की प्रवृत्ति आरम्भ से ही रही है। जब नवीं श्रेणी में थे, तभी इन्होंने तीन छोटे-छोटे नाटक लिखकर इण्डियन प्रेस, प्रयाग को भेजे और पुरस्कार स्वरूप 50 रुपये प्राप्त किये। 'महात्मा बुद्ध का जीवन-चरित' नामक मौलिक ग्रन्थ तथा शेक्सपीयर के 'टेम्पेस्ट' का अनुवाद भी इन्होंने प्रस्तुत किया था।