ग्वालियर
ग्वालियर
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विवरण | ग्वालियर भारत के मध्य प्रदेश प्रान्त का एक प्रमुख शहर है। ये शहर और इसका क़िला उत्तर भारत के प्राचीन शहरों का केन्द्र रहे हैं। |
राज्य | मध्यप्रदेश |
ज़िला | ग्वालियर ज़िला |
भौगोलिक स्थिति | उत्तर- 26.14°, पूर्व- 78.10° |
मार्ग स्थिति | दिल्ली से राष्ट्रीय राजमार्ग 2 से पलवल, कोसीकलाँ, होडल और मथुरा होते हुए आगरा पहुँचा जा सकता है जहाँ राष्ट्रीय राजमार्ग 3 ग्वालियर से जुड़ा हुआ है। |
कब जाएँ | अक्टूबर से मार्च |
कैसे पहुँचें | बस, रेल, टैक्सी, |
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ग्वालियर हवाई अड्डा |
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ग्वालियर रेलवे स्टेशन |
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ग्वालियर बस अड्डा |
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ताँगा, ऑटो रिक्शा, टैम्पो, बस, मिनी बस |
क्या देखें | ग्वालियर पर्यटन |
कहाँ ठहरें | होटल, धर्मशाला, अतिथि ग्रह |
क्या खायें | पोहा, गजक, नमकीन, दिल्ली वाले का परांठा, शेरे पंजाब भोजनालय का खाना |
क्या ख़रीदें | साबूदाना, साड़ियाँ, कपड़े, प्लास्टिक, ग्रासरी और टेक्सटाइल का सामान, ज्वेलरी, हस्तशिल्प |
एस.टी.डी. कोड | 0751 |
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गूगल मानचित्र, ग्वालियर हवाई अड्डा |
अद्यतन | 15:59, 15 नवंबर 2010 (IST)
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इतिहास और भूगोल
यह शहर सदियों से राजपूतों की प्राचीन राजधानी रहा है, चाहे वे प्रतिहार रहे हों या कछवाहा या तोमर। इस शहर में इनके द्वारा छोडे ग़ये प्राचीन चिह्न स्मारकों, क़िलों, महलों के रूप में मिल जाएंगे। सहेज कर रखे गए अतीत के भव्य स्मृति चिह्नों ने इस शहर को पर्यटन की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण बनाता है। यह नगर सामंती रियासत ग्वालियर का केंद्र था। जिस पर 18वीं सदी के उत्तरार्ध में मराठों के सिंधिया वंश का शासन था। रणोजी सिंधिया द्वारा 1745 में इस वंश की बुनियाद रखी गई और महादजी (1761-94) के शासनकाल में यह अपने चरमोत्कर्ष पर पहुंचा।
उनके अधीन क्षेत्र में सामान्य हिंदुस्तान के मुख्य हिस्से तथा मध्य भारत के कई हिस्से शामिल थे और उनके अधिकारी जोधपुर तथा जयपुर सहित अनेक स्वतंत्र राजपूत शासकों से भी नज़राना वसूल करते थे। दौलतराव के शासनकाल में अंग्रेज़ों ने अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई और 1840 के दशक में इस क्षेत्र में पूरा प्रभाव क़ायम किया। 1857 के विद्रोह के दौरान ग्वालियर के सिंधिया शासक अंग्रेज़ों के प्रति वफ़ादार बने रहे, किंतु उनकी सेना ने विद्रोहियों का साथ दिया।
पठारी इलाके में स्थित यह क्षेत्र सांक (शंख) नदी द्वारा कई जगहों पर प्रतिच्छेद है और घने जंगल से आच्छादित है। नगर तीन भिन्न बस्तियों से बना है। पुराना ग्वालियर, जो पर्वतीय क़िले के उत्तर में है और जहां मध्ययुगीन शौर्य के कई जीवंत स्मारक मौजूद हैं। क़िले के दक्षिण में स्थित लश्कर 1810 में दौलतराव सिंधिया की फ़ौजी छावनी बना था।
हर सदी के साथ इस शहर के इतिहास को नये आयाम मिले। महान् योद्धाओं, राजाओं, कवियों संगीतकारों तथा सन्तों ने इस राजधानी को देशव्यापी पहचान देने में अपना-अपना योगदान दिया। आज ग्वालियर एक आधुनिक शहर है और एक जाना-माना औद्योगिक केन्द्र है।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ महाभारत सभापर्व 30,3