सिरोंज
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सिरोंज विदिशा, मध्य प्रदेश से 50 मील की दूरी पर एक तहसील है। सिरोंज को पहले 'सिरोंचा' नाम से जाना जाता था। विदिशा से उत्तर-पश्चिम में पड़ने वाले सिरोंज का विशेष ऐतिहासिक महत्व है। बुंदेलखंड की सीमा पर पड़ने वाला सिरोंज कभी जैन तीर्थ स्थल का केन्द्र हुआ करता था। विदिशा से 85 कि.मी. दूर स्थित सिरोंज तीर्थ स्थलों, मंदिरों और मस्जिदों के लिए प्रसिद्ध है। सिरोंज को इसे भारत का सबसे पुराना शहर माना जाता है।[1]
- यहां की ज़ामा मस्जिद के बारे में ऐसा माना जाता है कि इसे 17वीं शताब्दी में औरंगज़ेब ने बनवाया था।
- यहां एक अब्जर्वटॉरी के अवशेष भी देखे जा सकते हैं, जिसे 18वीं शताब्दी में माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई मापने के लिए बनाया गया था।
- सिरोंज का गिरधारी मंदिर 11वीं शताब्दी का है। यहीं स्थित जटाशंकर और महामाया का पुराना और मूल मंदिर भी किसी अजूबे से कम नहीं है। यहां का मदन मोहन मंदिर भारत के प्राचीन मंदिरों में से एक है।
- सिंरोज मलमल और मोटा सूती कपड़ा के लिए भी प्रसिद्ध है।
- मध्य काल में सिरोंज का विशेष महत्व था। कई इमारतें व उनसे जुड़ी ऐतिहासिक घटनाएँ इस बात का प्रमाण है। सिरोंज के दक्षिण में स्थित पहाड़ी पर एक प्राचीन मंदिर है। इसे 'उषा का मंदिर' कहा जाता है। इसी नाम के कारण कुछ लोग इसे बाणासुर की राजधानी श्रोणित नगर के नाम से जानते थे। संभवतः यही शब्द बिगड़कर कालांतर में सिरोंज हो गया।[2]
- नगर के बीच में पहले एक बड़ी हवेली हुआ करती थी, जो अब ध्वस्त हो चुकी है, इसे 'रावजी की हवेली' के नाम से जाना जाता है। इसका निर्माण संभवतः मराठा अधिपत्य के बाद ही हुआ होगा। ऐसी मान्यता है कि यह मल्हारराव होल्कर के प्रतिनिधि का आवास था।
- सिरोंज के दक्षिण में स्थित पहाड़ी पर काले पत्थरों के ऐसे सहस्रों उद्गम है, जो जलहरी सहित शिवलिंग की भाँति दिखाई देते हैं। ऐसा संभवतः भूकंप के कारण हुआ है।
- आल्हखण्ड के रचयिता जगनक भाट भी इसी स्थान से जुड़े हैं। वैसे तो उनसे संबद्ध निश्चित स्थान का पता नहीं है, परंतु यह स्थान बाजार में स्थित एक प्राचीन मंदिर के आस-पास ही कहीं होने की संभावना है, जहाँ राजमहलों के होने का भी अनुमान है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ सिरोंज, विदिशा (हिंदी) nativeplanet.com। अभिगमन तिथि: 17 जुलाई, 2020।
- ↑ सिरोंज (हिंदी) ignca.gov.in। अभिगमन तिथि: 17 जुलाई, 2020।