डा. ज़ाकिर हुसैन का जन्म 1897 ई. में हैदराबाद, आंध्र प्रदेश के धनाढ्य पठान परिवार में हुआ था।
कुछ समय बाद इनके पिता उत्तर प्रदेश में रहने आ गये थे।
केवल 23 वर्ष की अवस्था में वे 'जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय' की स्थापना दल के सदस्य बने।
जाकिर हुसैन भारत के तीसरे राष्ट्रपति तथा प्रमुख शिक्षाविद थे।
वे अर्थशास्त्र में पीएच. डी की डिग्री के लिए जर्मनी के बर्लिन विश्वविद्यालय गए और लौट कर जामिया के उप कुलपति के पद पर भी आसीन हुए।
1920 में उन्होंने जामिया मिलिया इस्लामिया की स्थापना में योग दिया तथा इसके उपकुलपति बने।
इनके नेतृत्व में जामिया मिलिया इस्लामिया का राष्ट्रवादी कार्यों तथा स्वाधीनता संग्राम की ओर झुकाव रहा।
स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात वे अलीगढ़ विश्वविद्यालय के उपकुलपति बने तथा उनकी अध्यक्षता में ‘विश्वविद्यालय शिक्षा आयोग’ भी गठित किया गया।
इसके अलावा वे भारतीय प्रेस आयोग, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, यूनेस्को, अन्तर्राष्ट्रीय शिक्षा सेवा तथा केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से भी जुड़े रहे। 1962 ई. में वे भारत के उपराष्ट्रपति बने।[1]
उन्हें वर्ष 1963 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
1969 में असमय देहावसान के कारण वे अपना राष्ट्रपति कार्यकाल पूरा नहीं कर सके।