"पद्मजा नायडू": अवतरणों में अंतर
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09:50, 14 अक्टूबर 2012 का अवतरण

सरोजिनी नायडू की पुत्री पद्मजा नायडू अपनी मां की तरह ही राष्ट्र के हितों के प्रति निष्ठावान थीं।
- 17 नवंबर 1900 में जन्मीं पद्मजा नायडू पर अपनी देशभक्त मां का काफ़ी असर था।
- 21 वर्ष की आयु में वह राष्ट्रीय क्षितिज पर उभरीं और हैदराबाद में 'भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस' की संयुक्त संस्थापिका बन गयीं।
- उनकी राजनीतिक पृष्ठभूमि थी और उन्होंने देश में खादी का प्रचार करते हुए जनता को विदेशी सामान का बहिष्कार करने की प्रेरणा दीं।
- 1942 में गांधी जी के 'भारत छोड़ो आंदोलन' में भाग लेने के लिए उन्हें जेल जाना पड़ा।
- आज़ादी के बाद वह संसद की सदस्य बनीं और बाद में पश्चिम बंगाल की पहली महिला राज्यपाल बनायी गयीं।
- लगभग 50 वर्ष के सार्वजनिक जीवन में वे रेडक्रास से भी जुड़ी हुई थीं।
- 2 मई 1975 में उनका देहांत हो गया।
- राष्ट्र के लिए उनकी सेवाएं विशेष रूप से उनका मानवीय दृष्टिकोण हमेशा याद किया जाएगा।
- सरोजनी नायडू की बेटी पद्मजा अपनी मां की ही तरह देश के लिए समर्पित थीं।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख
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