गोविन्द राम (वार्ता | योगदान) No edit summary |
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| class="headbg12" style="border:1px solid #e8cbac; padding:10px; -moz-border-radius: 6px;-webkit-border-radius: 6px; border-radius: 6px;" valign="top" | <div style="padding-left:8px; background:#f8e4cf; border:thin solid #e8cbac;">''' | | class="headbg12" style="border:1px solid #e8cbac; padding:10px; -moz-border-radius: 6px;-webkit-border-radius: 6px; border-radius: 6px;" valign="top" | <div style="padding-left:8px; background:#f8e4cf; border:thin solid #e8cbac;">'''विशेष आलेख'''</div> | ||
<div align="center" style="color:#34341B;">'''[[ | <div align="center" style="color:#34341B;">'''[[महेश्वर]]'''</div> | ||
<div id="rollnone"> [[चित्र: | <div id="rollnone">[[चित्र:Maheshwar-Fort-and-ahilya-ghat-2.jpg|right|100px|अहिल्या घाट, महेश्वर|link=महेश्वर|border]] </div> | ||
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'''[[महेश्वर]]''' [[मध्य प्रदेश]] में स्थित एक ऐतिहासिक नगर तथा प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है। यह [[नर्मदा नदी]] के किनारे पर बसा है। प्राचीन समय में यह [[होल्कर वंश]] की राजधानी था। महेश्वर को '[[माहिष्मती]]' नाम से भी जाना जाता है। महेश्वर का [[हिन्दू]] धार्मिक ग्रंथ '[[रामायण]]' तथा '[[महाभारत]]' में भी उल्लेख मिलता है। [[अहिल्याबाई होल्कर|देवी अहिल्याबाई होल्कर]] के कालखंड में बनाये गए यहाँ के घाट बहुत सुन्दर हैं और इनका प्रतिबिम्ब नर्मदा नदी के [[जल]] में बहुत ख़ूबसूरत दिखाई देता है। यह शहर अपनी '[[महेश्वरी साड़ी|महेश्वरी साड़ियों]]' के लिए भी विशेष रूप से प्रसिद्ध रहा है। [[महेश्वर|... और पढ़ें]] | |||
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| style="border:1px solid #BE8383; padding:10px; -moz-border-radius: 6px;-webkit-border-radius: 6px; border-radius: 6px; " class="headbg30" valign="top" colspan="2"| | | style="border:1px solid #BE8383; padding:10px; -moz-border-radius: 6px;-webkit-border-radius: 6px; border-radius: 6px; " class="headbg30" valign="top" colspan="2"| | ||
<div style="padding-left:8px; background:#ede0e0; border:thin solid #cda7a7;">'''चयनित लेख'''</div> | <div style="padding-left:8px; background:#ede0e0; border:thin solid #cda7a7;">'''चयनित लेख'''</div> | ||
<div align="center" style="color:#34341B;">'''[[ | <div align="center" style="color:#34341B;">'''[[लखनऊ]]'''</div> | ||
<div id="rollnone"> [[चित्र: | <div id="rollnone"> [[चित्र:Chota-Imambara-Lucknow.jpg|right|100px|छोटा इमामबाड़ा लखनऊ|link=लखनऊ|border]]</div> | ||
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'''[[लखनऊ]]''' को ऐतिहासिक रूप से [[अवध]] क्षेत्र के नाम से जाना जाता था। लखनऊ के वर्तमान स्वरूप की स्थापना [[अवध के नवाब]] '[[आसफ़उद्दौला]]' ने 1775 ई. में की थी। पुरातत्त्ववेत्ताओं के अनुसार इसका प्राचीन नाम 'लक्ष्मणपुर' था। [[राम]] के छोटे भाई [[लक्ष्मण]] ने इसे बसाया था। यहाँ के शिया नवाबों ने शिष्टाचार, ख़ूबसूरत उद्यानों, कविता, संगीत और बढ़िया व्यंजनों को सदैव संरक्षण दिया। लखनऊ 'नवाबों का शहर' भी कहलाता है। लखनऊ में [[बड़ा इमामबाड़ा लखनऊ|बड़ा इमामबाड़ा]], [[छोटा इमामबाड़ा लखनऊ|छोटा इमामबाड़ा]] तथा [[रूमी दरवाज़ा लखनऊ|रूमी दरवाज़ा]] [[मुग़लकालीन स्थापत्य एवं वास्तुकला|मुग़ल वास्तुकला]] के अद्भुत उदाहरण हैं। [[लखनऊ|... और पढ़ें]] | |||
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| class="headbg12" style="border:1px solid #e8cbac; padding:10px; -moz-border-radius: 6px;-webkit-border-radius: 6px; border-radius: 6px;" valign="top" | <div style="padding-left:8px; background:#f8e4cf; border:thin solid #e8cbac;">'''चयनित लेख'''</div> | | class="headbg12" style="border:1px solid #e8cbac; padding:10px; -moz-border-radius: 6px;-webkit-border-radius: 6px; border-radius: 6px;" valign="top" | <div style="padding-left:8px; background:#f8e4cf; border:thin solid #e8cbac;">'''चयनित लेख'''</div> | ||
<div align="center" style="color:#34341B;">'''[[ | <div align="center" style="color:#34341B;">'''[[कन्याकुमारी]]'''</div> | ||
<div id="rollnone">[[चित्र: | <div id="rollnone">[[चित्र:Sunset-Kanyakumari.jpg|right|100px|कन्याकुमारी मंदिर|link=कन्याकुमारी|border]]</div> | ||
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'''[[ | '''[[कन्याकुमारी]]''' भारत भूमि के सबसे दक्षिण बिंदु पर स्थित केवल एक नगर ही नहीं बल्कि देशी विदेशी सैलानियों का एक बड़ा पर्यटन स्थल भी है। [[भारत]] के मस्तक पर मुकुट के समान सजे [[हिमालय]] के धवल शिखरों को निकट से देखने के बाद हर सैलानी के मन में भारतभूमि के अंतिम छोर को देखने की इच्छा भी उभरने लगती है। यह स्थान एक खाड़ी, एक [[सागर]] और एक [[महासागर]] का मिलन बिंदु है। अपार जलराशि से घिरे इस स्थल के पूर्व में [[बंगाल की खाड़ी]], पश्चिम में [[अरब सागर]] एवं दक्षिण में [[हिंद महासागर]] है। यहाँ आकर हर व्यक्ति को प्रकृति के अनंत स्वरूप के दर्शन होते हैं। सागर-त्रय के [[संगम]] की इस दिव्यभूमि पर माँ भगवती 'देवी कुमारी' के रूप में विद्यमान हैं। इस पवित्र स्थान को विदेशी सैलानियों ने 'एलेक्जेंड्रिया ऑफ़ ईस्ट' की उपमा से नवाज़ा है। [[कन्याकुमारी|... और पढ़ें]] | ||
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10:20, 7 सितम्बर 2017 का अवतरण
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इन्हें भी देखें: पर्यटन चित्रावली
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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