चिदंबरम मंदिर

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चिदंबरम मंदिर
चिदंबरम मंदिर
वर्णन यह मंदिर नटराज के रूप में भगवान शिव को समर्पित है। मंदिर में कई काँस्य प्रतिमाएँ हैं, जो सम्भवतः 10वीं-12वीं सदी के चोल काल की हैं।
स्थान चिदंबरम, तमिलनाडु
देवी-देवता शिव और पार्वती
वास्तुकला द्रविड़ वास्तुकला शैली
भौगोलिक स्थिति 11°23′58″ उत्तर, 79°41′36″ पूर्व
मार्ग स्थिति पुदुचेरी से दक्षिण की ओर 78 किलोमीटर की दूरी पर और चेन्नई शहर से लगभग 245 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
अन्य जानकारी हिन्दू साहित्य के अनुसार चिदंबरम मंदिर उन पांच पवित्र शिव मंदिरों में से एक है, जो प्राकृतिक के पांच महत्वपूर्ण तत्वों का प्रतिनिधित्व करता है।

चिदंबरम मंदिर या नटराज मंदिर तमिलनाडु राज्य के चिदंबरम शहर में स्थित है। यह मंदिर नटराज के रूप में भगवान शिव को समर्पित है। मंदिर में कई काँस्य प्रतिमाएँ हैं, जो सम्भवतः 10वीं-12वीं सदी के चोल काल की हैं। चिदंबरम के इस मंदिर में प्रवेश के लिए भव्य गोपुरम बने हैं, जो नौ मंजिले हैं। इसका सभागृह 1,000 से अधिक स्तम्भों पर टिका है। इन गोपुरों पर मूर्तियों तथा अनेक प्रकार की चित्रकारी का अंकन है। इनके नीचे 40 फुट ऊँचे, 5 फुट मोटे ताँबे की पत्ती से जुड़े हुए पत्थर के चौखटे हैं। मंदिर के शिखर के कलश सोने के हैं।

शिव का अलौकिक रूप

चिदंबरम मंदिर दक्षिण भारत के पुराने मंदिरों में से एक है, जो एक हिंदू मंदिर है। यह तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई से 245 किलोमीट दूर चेन्नई-तंजावुर मार्ग पर स्थित है। इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि भगवान शिव ने आनंद नृत्य की प्रस्तुति यहीं की थी, इसलिए इस जगह को 'आनंद तांडव' के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। मंदिर के महत्व का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यह भारत के पांच पवित्र शिव मंदिरों में से एक है। मंदिर शहर के मध्य में स्थित है। इसकी विशालता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यह 40 एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है। यह मंदिर भगवान शिव के एक अन्य रूप नटराज और गोविंदराज पेरुमल को समर्पित है, जो अति प्राचीन और ऐतिहासिक मंदिर है। इस मंदिर के बारे में लोग यही कहते हैं कि देश में बहुत कम मंदिर ऐसे हैं, जहां शिववैष्णव दोनों देवता एक ही स्थान पर प्रतिष्ठित हैं। मंदिर में कुल नौ द्वार और चार पगोडे या गोपुरम हैं।[1]

‘तांडव नृत्य’ करती हैं मूर्तियाँ

दक्षिण भारत की चिदंबरम मंदिर की मूर्तियां ‘तांडव नृत्य’ करती है। विश्व के साहित्य एवं कला के इतिहास में ऐसा कोई भी उदाहरण प्राप्त नहीं है, जिसमें शब्द को आधार मानकर उसके अर्थ की अभिव्यंजना प्रतिमा कला के रूपों में की गई है। नाट्यशास्त्र पर आधारित कला में चिदंबरम मंदिर में उत्कीर्णित नटराज की शताधिक नृत्य की भंगिमाओं का निर्माण साहित्य एवं कला की दृष्टि से अद्वितीय एवं कला की दृष्टि से अद्वितीय एवं अप्रतिम है। द्रविड़ मंदिर वास्तु शैली में निर्मित चिदंबरम का नटराज मंदिर दक्षिण भारत के मंदिरों में अद्वितीय एवं अप्रतिम हैं। सातवीं शताब्दी से लेकर 16वीं सदी तक चिदंबरम मंदिर के विकास में पांड्य, चोल, विजयनगर के नरेशों, स्थानीय महाजनों तथा जनगण का महत्वपूर्ण योगदान रहा, जिन्होंने मंदिर के स्तंभों और दीवारों पर नटराज की नृत्य मुद्रा की प्रतिमाओं को नाट्यशास्त्रीय आधार पर उत्कीर्ण कराया। चिदंबरम मंदिर में नटराज की तांडव नृत्य की 108 मुद्राएं को भरत के नाट्यशास्त्र में वर्णित भंगिमाओं का मूर्तरूप हैं।[2]

चिदंबरम मंदिर

मंदिर की विशेषता

नटराज शिव की मूर्ति मंदिर की एक अनूठी विशेषता है। नटराज आभूषणों से लदे हुए हैं, जिनकी छवि अनुपम है। यह मूर्ति भगवान शिव को भरतनाट्यम नृत्य के देवता के रूप में प्रस्तुत करती है। बताया जाता है कि यह उन कुछ मंदिरों में से एक है, जहां शिव को प्राचीन लिंगम के स्थान पर मानवरूपी मूर्ति के रूप में प्रतिष्ठित किया गया है। मंदिर में पांच आंगन हैं। शिव के नटराज स्वरूप के नृत्य का स्वामी होने के कारण भरतनाट्यम के कलाकारों में भी इस जगह का कुछ ख़ास महत्व है। मंदिर की बनावट इस तरह है कि इसके हर पत्थर और खंभे पर भरतनाट्यम नृत्य की मुद्राएं अंकित हैं। मंदिर के केंद्र और अम्बलम के सामने भगवान शिवकाम सुंदरी (पार्वती) के साथ स्थापित हैं। मंदिर की अन्य ख़ासियतों में शुमार है चिदंबरम मंदिर का रहस्य। इस रहस्य को जानने के लिए आपको एक तय राशि यहां देनी पड़ती है। मंदिर की देख-रेख और पूजा-पाठ पारंपरिक पुजारी करते हैं। हालांकि सारा प्रबंधन श्रद्धालुओं द्वारा चढ़ावे और दान के रूप में दिए गए धन से ही होता है। मंदिर शिव क्षेत्रम के रूप में भी प्रसिद्ध है।

गोविंदराज मंदिर

गोविंदराज और पंदरीगावाल्ली का मंदिर भी चिदंबरम मंदिर के इसी भवन में स्थित है, जो शिव के बिल्कुल निकट स्थापित है। मंदिर में एक बहुत ही खूबसूरत तालाब और नृत्य परिसर भी है। यहां हर साल नृत्य महोत्सव का आयोजन किया जाता है, जिसमें देश भर से कलाकार हिस्सा लेते हैं।

पांच सभाओं वाला हॉल

पांच सभाओं वाला हॉल भी यहां देखने लायक है, जो देवी-देवताओें के संसार में विचरण करने के लिए बाध्य कर देता है। यहां भगवान नटराज अपने सहचरी के साथ रहते थे। दक्षिणी मान्यता के अनुसार, भगवान देवी काली के साथ यहीं नृत्य किया करते थे। मंदिर के चारों ओर जल सरोवर भक्तों को शीतलता का एहसास कराता है।[1]

महत्त्वपूर्ण बातें

  • देवाधिदेव महादेव (भगवान शिव) को सर्वोच्च देवता के रूप में पूजने वाले उपासकों के लिए तमिलनाडु का चिदंबरम/नटराज मंदिर आस्था और सौंदर्य के प्रमुख केंद्रों में से एक है।
  • यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित एक हिन्दू मंदिर है जो मंदिरों की नगरी चिदंबरम के मध्य में, पुदुचेरी से दक्षिण की ओर 78 किलोमीटर की दूरी पर और चेन्नई शहर से लगभग 245 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
  • हिन्दू साहित्य के अनुसार चिदंबरम मंदिर उन पांच पवित्र शिव मंदिरों में से एक है, जो प्राकृतिक के पांच महत्वपूर्ण तत्वों का प्रतिनिधित्व करता है। चिदंबरम मंदिर आकाश का प्रतिनिधित्व करता है। वहीं आंध्र प्रदेश में कालहस्ती मंदिर- वायु, थिरुवनाईकवल जम्बुकेस्वरा- जल, कांची एकाम्बरेस्वरा- पृथ्वी और थिरुवन्नामलाई अरुणाचलेस्वरा- अग्नि को प्रतिनिधित्व प्रदान करते हैं।
  • लगभग 50 एकड़ में फैला यह रहस्यमयी मंदिर द्रविड़ वास्तुकला शैली को दर्शाता है। इसकी संरचना अपने आप में आकर्षक और विशिष्ट है। मंदिर की आंतरिक साज-सज्जा और शिल्पकारी के अलावा विशाल गुंबदों ने इसे भव्य स्वरूप प्रदान किया है।
  • इस मंदिर की एक अनूठी विशेषता आभूषणों से युक्त नटराज की छवि के रूप में भगवान शिव को भरतनाट्यम नृत्य के देवता के रूप में प्रस्तुत किया गया है। यह मंदिर भारत के उन गिनेचुने मंदिरों में से एक हैं जहां शिव को प्राचीन लिंगम के स्थान पर मानवरूपी मूर्ति के रूप में प्रतिष्ठित किया गया है।[3]

किंवदंती

चिदंबरम मंदिर

ऐसा दावा किया गया है कि मूल रूप से यह मंदिर भगवान श्री गोविंद राजास्वामी का निवास था और भगवान शिव अपनी सहचरी के साथ उनसे संपर्क करने आए थे, जिससे कि वह युगल जोड़े के मध्य नृत्य प्रतिस्पर्धा के निर्णायक बन जाएं। भगवान गोविंद राजास्वामी इस बात पर सहमत हो गए और और शिव और पार्वती दोनों के मध्य बराबरी पर नृत्य प्रतिस्पर्धा चलती रही। दरअसल, इसी दौरान भगवान शिव विजयी होने की युक्ति जानने के लिए श्री गोविंद राजास्वामी के पास गए और उन्होंने संकेत दिया कि वह अपने एक पैर से उठाई हुई मुद्रा में नृत्य कर सकते हैं। महिलाओं के लिए, नाट्यशास्त्र के अनुसार, यह मुद्रा वर्जित थी, इसीलिए जब अंततः भगवान शिव इस मुद्रा में आ गए, तो पार्वती ने पराजय स्वीकार कर ली और इसीलिए इस स्थान पर भगवान शिव की मूर्ति नृत्य मुद्रा में है।[1]

कैसे पहुँचें

हवाई सेवा

चिदंबरम जाने के लिए चेन्नई नजदीकी एयरपोर्ट है। यहां से बस या ट्रेन के जरिए चिदंबरम पहुंचा जा सकता है।

रेल मार्ग

चिदंबरम चेन्नई-तंजावुर मार्ग पर चेन्नई से 235 किमी दूर है। रेलवे स्टेशन भी चिदंबरम नाम से ही है।

सड़क मार्ग

ऑटो-रिक्शा, टैक्सी और बस के जरिए चेन्नई से 4 से 5 घंटे में चिदंबरम पहुंचा जा सकता है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 1.2 चदंबरम मंदिर : शिव का मंगलमय और अलौकिक रूप (हिंदी) चौथी दुनिया। अभिगमन तिथि: 22 सितम्बर, 2014।
  2. ‘तांडव नृत्य’ करती हैं चिदंबरम मंदिर की मूर्तियां (हिंदी) अमर उजाला। अभिगमन तिथि: 22 सितम्बर, 2014।
  3. यहां मानवरूपी मूर्ति के रूप में प्रतिष्ठित हैं भगवान शिव (हिंदी) अटल संदेश। अभिगमन तिथि: 22 सितम्बर, 2014।

बाहरी कड़ियाँ

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