एन्नौर बंदरगाह
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विवरण | 'एन्नौर बंदरगाह' भारत के प्रमुख बंदरगाहों में से एक है। इस बंदरगाह का उद्घाटन प्रधानमंत्री द्वारा किया गया था। |
देश | भारत |
स्थान | एन्नौर |
स्वामित्व | जहाज़रानी मंत्रालय |
उद्घाटन | 22 जून, 2001 |
बंदरगाह | एन्नौर बंदरगाह भारत का 12वाँ सबसे बड़ा तथा पहला कारपोरेटीकृत बंदरगाह है। |
इतिहास | मार्च, 1999 में 'भारतीय बंदरगाह अधिनियम', 1908 के अंतर्गत इसे एक प्रमुख पोर्ट घोषित किया गया था और अक्टूबर, 1999 में इसे कंपनी अधिनियम, 1956 के तहत एक कंपनी (एन्नौरपोर्ट लिमिटेड) के रूप में निगमित किया गया था। |
अन्य जानकारी | यह बंदरगाह अस्थायी सुविधाओं के तहत अल्प मात्रा में लौह अयस्क तथा पीओएल का निस्तार भी करता है। बंदरगाह ने निजी क्षेत्र की हिस्सेदारी के माध्यम से तरल, कोयला, लौह अयस्क, कंटेनर और अन्य आम नौभार निस्तारार्थ टर्मिनलों के विस्तार की कार्रवाई भी प्रारम्भ की है। |
अद्यतन | 3:45, 1 दिसम्बर-2016 (IST) |
एन्नौर बंदरगाह (अंग्रेज़ी: Ennore Port) तमिलनाडु में है, जो चेन्नई बंदरगाह से 24 कि.मी. उत्तर की ओर कोरोमण्डल तट पर अवस्थित है। इस बंदरगाह का विकास चेन्नई बंदरगाह से लगभग 20 कि.मी. उत्तर की तरफ़ भारत के पूर्वी तट पर किया गया है। एन्नौर बंदरगाह 22 जून, 2001 में प्रारम्भ किया गया था। यह अस्थायी सुविधाओं के तहत अल्प मात्रा में लौह अयस्क तथा पीओएल का निस्तार भी करता है।
उद्घाटन तथा परिचालन
एन्नौर बंदरगाह का उद्घाटन भारत के प्रधानमंत्री द्वारा किया गया था। इसका व्यावसायिक परिचालन 22 जून, 2001 को हेंडीमेक्स गियर्ड वेसेल से थर्मल कोयले की अनलोडिंग से शुरू हो गया। एन्नौरबंदरगाह का विकास चिन्नई बंदरगाह से लगभग 20 किलोमीटर उत्तर की ओर भारत के पूर्वी तट पर हरी भरी परिस्थिति में किया गया है। इसे मार्च, 1999 में 'भारतीय बंदरगाह अधिनियम', 1908 के अंतर्गत एक प्रमुख पोर्ट घोषित किया गया था और अक्टूबर, 1999 में इसे कंपनी अधिनियम, 1956 के तहत एक कंपनी (एन्नौरपोर्ट लिमिटेड) के रूप में निगमित किया गया था। इसका शुभारम्भ जून, 2001 में दो समर्पित कोयला बर्थ्स, 15 मीटर समीपस्थ गहराई के साथ हुआ। तब से यह 'तमिलनाडु विद्युत परिषद' के विद्युत गृहों के लिए तापीय कोयले का निस्तार करता आ रहा है।
कार्यक्षेत्र
एन्नौरभारत का 12वाँ सबसे बड़ा तथा पहला कारपोरेटीकृत बंदरगाह है। इसकी प्राथमिक अवधारणा इसे चेन्नई बंदरगाह के उपग्रहीय बंदरगाह के रूप में विकसित करने की थी, जिसका प्राथमिक कार्य 'तमिलनाडु बिजली बोर्ड' के ताप विद्युत संयंत्रों को कोयले की सप्लाई करना होता। बाद में हुए कई घटनाक्रमों को देखते हुए इसके कार्यक्षेत्र में वृद्धि कर दी गई। चेन्नई हार्बर तथा निकटवर्ती क्षेत्रों में लौह अयस्क तथा कोयले की ढुलाई के कारण पैदा प्रदूषण तथा पर्यावरणीय खतरे को देखते हुए इन वस्तुओं को चेन्नई बंदरगाह से अन्यत्र स्थानांतरित करना आवश्यक हो गया था। कोयला बर्थ[1], लौह अयस्क, एलएनजी, पीओएल, रसायन तथा अन्य द्रव तथा प्रस्तावित पेट्रोकेम पार्क की स्थापना के बाद खुलने की संभावना वाले उद्योगों के काम आने वाले कच्चे तेल के बर्थ की योजना के पीछे यही तर्क था। इन कारकों ने एन्नौर बंदरगाह को नई सहस्राब्दी के एक बहुमुखी ऊर्जा बंदरगाह के रूप में विकसित करने में योगदान दिया। यह एशिया का एकमात्र 'एनर्जी पोर्ट' है। इस बंदरगाह पर 1880 मेगावाट क्षमता आला एल. एन. जी. संयंत्र, एक विशाल पेट्रो-रसायन पार्क तथा एक नेफ्था क्रेकर संयंत्र स्थापित किया गया है।
अस्थायी सुविधाएँ
यह बंदरगाह अस्थायी सुविधाओं के तहत अल्प मात्रा में लौह अयस्क तथा पीओएल का निस्तार भी करता है। बंदरगाह ने निजी क्षेत्र की हिस्सेदारी के माध्यम से तरल, कोयला, लौह अयस्क, कंटेनर और अन्य आम नौभार निस्तारार्थ टर्मिनलों के विस्तार की कार्रवाई भी प्रारम्भ की है। यह बंदरगाह प्रबन्धन आवश्यक कोर स्टाफ सहित एक भूस्वामी पोर्ट के रूप में कार्य कर रहा है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ टीएनईबी के अलावा अन्य उपयोगकर्ताओं के लिए