लौद्रवा जैसलमेर
लौद्रवा जैसलमेर
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विवरण | 'लौद्रवा' राजस्थान के प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्थानों में गिना जाता है। यह स्थान जैन आस्था का केंद्र है। यहाँ का लौद्रवा जैन मंदिर अपनी ख़ूबसूरती के लिए प्रसिद्ध है। |
राज्य | राजस्थान |
ज़िला | जैसलमेर |
स्थिति | जैसलमेर से 15 कि.मी. दूर काक नदी के किनारे स्थित। |
प्रसिद्धि | यह स्थान अपने कलात्मक जैन मन्दिरों के लिये प्रसिद्ध है। |
संबंधित लेख | राजस्थान, जैसलमेर, राजस्थान का इतिहास, राजस्थान पर्यटन, जैसलमेर पर्यटन |
अन्य जानकारी | ऐसा माना जाता है कि लोद्रवा ग्राम को 'लोद्रवा' व 'रोद्रवा' नामक राजपूत जातियों ने बसाया था। प्राचीन काल में लोद्रवा अत्यन्त ही हरा-भरा कृषि क्षेत्र था और यहाँ के लोग भी काफ़ी समृद्ध थे। |
लौद्रवा राजस्थान के जैसलमेर शहर से 15 कि.मी. दूर स्थित एक ऐतिहासिक स्थान है। मध्यकालीन मंदिरों के लिए यह स्थान प्रसिद्ध है। लौद्रवा को 'भट्टी राजवंश की राजधानी' होने का गौरव प्राप्त है। यहाँ के भग्नावशेषों में जैन धर्मावलम्बियों ने कुछ धार्मिक स्थलों का जीर्णोद्धार करवाया था। इसके फलस्वरूप लौद्रवा जैन सम्प्रदाय का प्रमुख तीर्थ स्थल बन गया।
स्थिति तथा इतिहास
जैसलमेर से 15 कि.मी. दूर काक नदी के किनारे बसा लोद्रवा ग्राम व यहां के कलात्मक जैन मंदिर तो देखते ही बनते हैं। ऐसा माना जाता है कि लोद्रवा ग्राम को 'लोद्रवा' व 'रोद्रवा' नामक राजपूत जातियों ने बसाया था। प्राचीन काल में लोद्रवा अत्यन्त ही हरा-भरा कृषि क्षेत्र था। लोद्रवा एक सुन्दर स्थान तो था ही, इसके साथ-साथ यहां के लोग भी समृद्ध थे।[1]
ग़ोरी द्वारा आक्रमण
बारहवीं शताब्दी में जब मुहम्मद ग़ोरी ने भारत के मंदिरों को लूटना व नष्ट करना शुरू किया तो यह शहर भी उसकी नजरों से बच न सका। उस समय इस नगर के शासक भुजदेव थे। मुहम्मद ग़ोरी के भयानक आक्रमण के दौरान भुजदेव भी युद्ध में मारे गए थे व यहां के जैन मंदिर भी आक्रमणकारियों ने नष्ट कर दिए थे।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.0 1.1 दर्शनीय हैं लोद्रवा के कलात्मक जैन मंदिर (हिन्दी) दैनिक ट्रिब्यून। अभिगमन तिथि: 13 अक्टूबर, 2014।