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गोपेश्वर

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गोपेश्वर गढ़वाल ज़िला, उत्तराखंड में केदारनाथ के निकट एक प्राचीन पुण्य स्थान है। यह बद्रीनाथ से केदारनाथ जाने वाले मार्ग पर चमोली के निकट है। यहाँ से भगवान विष्णु का प्रभाव क्षेत्र समाप्त होकर शिव का क्षेत्र प्रारंभ होता है।[1]

  • गोपेश्वर का शिव मंदिर केदारनाथ के मंदिर को छोड़कर प्रदेश का सर्वमान्य तथा सर्व-प्रचीन देवालय माना जाता है। इसकी मूर्तियाँ भी बहुत प्राचीन हैं।
  • गोपेश्वर शिव की मूर्ति कत्यूरी कालीन है। यहाँ की मूर्तियों में ऊँचे जूते पहने हुए सूर्य देव की मूर्ति और चतुर्मुखी शिवलिंग भी है, जो कत्यूरी नरेशों तथा लकुलीश शैवों के स्मारक हैं।
  • राजा अनंगपाल का कीर्ति-स्तंभ, जो त्रिशूल रूप में अष्टधातु का बना हुआ है, मंदिर के प्रांगण में स्थित है। इस पर 13वीं शती के दो अस्पष्ट नेपाली अभिलेख हैं।
  • 'स्कंदपुराण' के अनुसार शिव ने कामदेव को गोपेश्वर के स्थान पर ही भस्म किया था।
  • कुमारसंभव[2] में मदन दहन का सुंदर वर्णन है-

'क्रोध प्रभो संहर सहरति यावद्गिर: से मरुताचर त तावत् स वहि भविनेत्रजन्मा भस्मावशे मदनचकार।'


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |पृष्ठ संख्या: 301 |
  2. कुमारसंभव 3, 72

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