अहिल्याबाई होल्कर
अहिल्याबाई होल्कर
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पूरा नाम | रानी अहिल्याबाई होल्कर |
जन्म | 31 मई सन् 1725 ई. |
जन्म भूमि | चांऊडी गांव (चांदवड़), अहमदनगर, महाराष्ट्र |
मृत्यु | 13 अगस्त सन् 1795 ई. |
अभिभावक | मानकोजी शिंदे (पिता) |
पति/पत्नी | खंडेराव |
संतान | मालेराव (पुत्र) और मुक्ताबाई (पुत्री) |
कर्म भूमि | भारत |
विशेष योगदान | रानी अहिल्याबाई ने कलकत्ता से बनारस तक की सड़क, बनारस में अन्नपूर्णा का मन्दिर, गया में विष्णु मन्दिर बनवाये। इसके अतिरिक्त इन्होंने घाट बनवाए, कुओं और बावड़ियों का निर्माण करवाया, मार्ग बनवाए, भूखों के लिए सदाब्रत (अन्नक्षेत्र ) खोले, प्यासों के लिए प्याऊ बिठलाईं, मंदिरों में विद्वानों की नियुक्ति शास्त्रों के मनन-चिंतन और प्रवचन हेतु की। |
नागरिकता | भारतीय |
विशेष | इस महान् शासिका के लिए एक श्रद्धांजलि के रूप में इंदौर घरेलू हवाई अडडे् का नाम देवी अहिल्याबाई होल्कर हवाई अड्डा रखा गया। इसी तरह इंदौर विश्वविद्यालय को देवी अहिल्या विश्वविद्यालय नाम दिया गया है। |
अन्य जानकारी | अहिल्याबाई को एक दार्शनिक रानी के रूप में भी जाना जाता है। अहिल्याबाई एक महान् और धर्मपारायण स्त्री थी। वह हिंदू धर्म को मानने वाली थी और भगवान शिव की बड़ी भक्त थी। |
महारानी अहिल्याबाई होल्कर (अंग्रेज़ी: Maharani Ahilyabai Holkar, जन्म: 31 मई, 1725; मृत्यु: 13 अगस्त, 1795) मल्हारराव होल्कर के पुत्र खंडेराव की पत्नी थीं। अहिल्याबाई किसी बड़े राज्य की रानी नहीं थीं, लेकिन अपने राज्य काल में उन्होंने जो कुछ किया वह आश्चर्यचकित करने वाला है। वह एक बहादुर योद्धा और कुशल तीरंदाज थीं। उन्होंने कई युद्धों में अपनी सेना का नेतृत्व किया और हाथी पर सवार होकर वीरता के साथ लड़ीं।
जीवन परिचय
अहिल्याबाई का जन्म 31 मई सन् 1725 में हुआ था। अहिल्याबाई के पिता मानकोजी शिंदे एक मामूली किंतु संस्कार वाले आदमी थे। इनका विवाह इन्दौर राज्य के संस्थापक महाराज मल्हारराव होल्कर के पुत्र खंडेराव से हुआ था। सन् 1745 में अहिल्याबाई के पुत्र हुआ और तीन वर्ष बाद एक कन्या। पुत्र का नाम मालेराव और कन्या का नाम मुक्ताबाई रखा। उन्होंने बड़ी कुशलता से अपने पति के गौरव को जगाया। कुछ ही दिनों में अपने महान् पिता के मार्गदर्शन में खण्डेराव एक अच्छे सिपाही बन गये। मल्हारराव को भी देखकर संतोष होने लगा। पुत्र-वधू अहिल्याबाई को भी वह राजकाज की शिक्षा देते रहते थे। उनकी बुद्धि और चतुराई से वह बहुत प्रसन्न होते थे। मल्हारराव के जीवन काल में ही उनके पुत्र खंडेराव का निधन 1754 ई. में हो गया था। अतः मल्हार राव के निधन के बाद रानी अहिल्याबाई ने राज्य का शासन-भार सम्भाला था। रानी अहिल्याबाई ने 1795 ई. में अपनी मृत्यु पर्यन्त बड़ी कुशलता से राज्य का शासन चलाया। उनकी गणना आदर्श शासकों में की जाती है। वे अपनी उदारता और प्रजावत्सलता के लिए प्रसिद्ध हैं। उनके एक ही पुत्र था मालेराव जो 1766 ई. में दिवंगत हो गया। 1767 ई. में अहिल्याबाई ने तुकोजी होल्कर को सेनापति नियुक्त किया।
अहिल्याबाई होल्कर के सम्मान में जारी भारतीय डाक टिकट
बाहरी कड़ियाँ
- अहिल्याबाई
- अहिल्याबाई : साहित्यकारों की नजर में
- अहिल्याबाई : ग्रेट मराठा महिला
- अहिल्याबाई की जीवन कथा