'नालन्दा विश्वविद्यालय' बिहार की राजधानी पटना से 90 किलोमीटर दूर और बिहार शरीफ़ से क़रीब 12 किलोमीटर दक्षिण में, विश्व प्रसिद्ध प्राचीन बौद्ध विश्वविद्यालय नालंदा के खण्डहर स्थित हैं।
गुप्तकालीन सम्राट कुमारगुप्त प्रथम ने 415-454 ईसा पूर्व नालन्दा विश्वविद्यालय की स्थापना की थी।
नालंदा संस्कृत शब्द 'नालम् + दा' से बना है। संस्कृत में 'नालम' का अर्थ 'कमल' होता है। कमल ज्ञान का प्रतीक है। नालम् + दा यानी कमल देने वाली, ज्ञान देने वाली।
प्रसिद्ध चीनी यात्री ह्वेनसांग ने 7वीं शताब्दी में यहाँ जीवन का महत्त्वपूर्ण एक वर्ष एक विद्यार्थी और एक शिक्षक के रूप में व्यतीत किया था।
यहाँ के विद्यार्थियों और विद्वानों की मांग एशिया के सभी देशों में थी और उनका सर्वत्रादर होता था। .... और पढ़ें
पुष्कर ब्रह्माजी के एकलौते मंदिर और ऊँटों के व्यापार मेले के लिए प्रसिद्ध है। पुष्कर का शाब्दिक अर्थ है तालाब। अजमेर से मात्र 11 किलोमीटर दूर तीर्थराज पुष्कर विश्वविख्यात है और पुराणों में वर्णित तीर्थों में इसका महत्त्वपूर्ण स्थान है। राजस्थान के शहर अजमेर में कई पर्यटन स्थल है जिनमें से ये एक है। अनेक पौराणिक कथाएं इसका प्रमाण हैं। यहाँ से प्रागैतिहासिक कालीन पाषाण निर्मित अस्त्र-शस्त्र मिले हैं, जो उस युग में यहाँ पर मानव के क्रिया-कलापों की ओर संकेत करते हैं .... और पढ़ें
रणथम्भौर क़िलाराजस्थान में ऐतिहासिक घटनाओं एवं बहादुरी का प्रतीक है। रणथम्भौर का दुर्ग सीधी ऊँची खड़ी पहाड़ी पर स्थित है, जो आसपास के मैदानों के ऊपर 700 फुट की ऊंचाई पर है। यह विंध्य पठार और अरावली पहाड़ियों के बीच स्थित है, जो 7 कि.मी. भौगोलिक क्षेत्र में फैला हुआ है। इस क़िले के निर्माता का नाम अनिश्चित है, किन्तु इतिहास में सर्वप्रथम इस पर चौहानों के अधिकार का उल्लेख मिलता है। जनश्रुति है कि प्रारम्भ में इस दुर्ग के स्थान के निकट 'पद्मला' नामक एक सरोवर था। यह इसी नाम से आज भी क़िले के अन्दर ही स्थित है। इसके तट पर पद्मऋषि का आश्रम था। इन्हीं की प्रेरणा से जयंत और रणधीर नामक दो राजकुमारों ने जो कि अचानक ही शिकार खेलते हुए वहाँ पहुँच गए थे, इस क़िले को बनवाया और इसका नाम 'रणस्तम्भर' रखा। क़िले की स्थापना पर यहाँ गणेश जी की प्रतिष्ठा की गई थी, जिसका आह्वान राज्य में विवाहों के अवसर पर किया जाता है। ... और पढ़ें