"विश्वनाथ नारायण लवांडे": अवतरणों में अंतर
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'''विश्वनाथ नारायण लवांडे''' ( जन्म- [[21 फरवरी]], [[1923]], पुराना गोवा नगर) 'गोवा मुक्ति संग्राम' के प्रमुख नेता एवं स्वतंत्रता सेनानी थे। उन्होंने [[गोवा]] को [[पुर्तग़ाली]] साम्राज्य से मुक्त कराने के लिये कड़ा संघर्ष किया। | '''विश्वनाथ नारायण लवांडे''' ( जन्म- [[21 फरवरी]], [[1923]], पुराना गोवा नगर; मृत्यु- [[15 सितंबर]] [[1998]], गोवा) 'गोवा मुक्ति संग्राम' के प्रमुख नेता एवं स्वतंत्रता सेनानी थे। उन्होंने [[गोवा]] को [[पुर्तग़ाली]] साम्राज्य से मुक्त कराने के लिये कड़ा संघर्ष किया। | ||
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विश्वनाथ नारायण लवांडे का गोवा मुक्ति के लिये संघर्ष में बड़ा ही योगदान रहा है। [[1942]] के बाद उन्होंने अपना पूरा समय [[गोवा]] के संघर्ष में लगाया। [[1946]] में डॉक्टर लोहिया के साथ भाड़ गांव की सभा में पुर्तग़ाली साम्राज्य के विरुद्ध भाषण देने के कारण वे गिरफ्तार कर लिए गए। उसके बाद गिरफ्तारी और रिहाई का यह क्रम चलता रहा। [[1947]] में 'आजाद गोंगतक दल' नामक क्रांतिकारी संगठन बनाया, जिसके विश्वनाथ नारायण लवांडे अध्यक्ष थे। इस दल की ओर से सरकारी कार्यालयों, पुलिस चौकियों, सरकारी कोषागारों आदि पर आक्रमण होने लगे। 'आजाद गोंगतक दल' ने [[जुलाई]] और [[अगस्त]], [[1954]] में सशस्त्र बल प्रयोग से [[दादरा और नगर हवेली]] को [[पुर्तग़ाली|पुर्तग़ालियों]] से मुक्त करा लिया। लवांडे को इन आजाद बस्तियों का प्रथम प्रशासक नियुक्त किया गया। [[दिसंबर]] [[1961]] में [[भारतीय सेना]] के हस्तक्षेप से [[गोवा]] स्वतंत्र हो गया। | विश्वनाथ नारायण लवांडे का गोवा मुक्ति के लिये संघर्ष में बड़ा ही योगदान रहा है। [[1942]] के बाद उन्होंने अपना पूरा समय [[गोवा]] के संघर्ष में लगाया। [[1946]] में डॉक्टर लोहिया के साथ भाड़ गांव की सभा में पुर्तग़ाली साम्राज्य के विरुद्ध भाषण देने के कारण वे गिरफ्तार कर लिए गए। उसके बाद गिरफ्तारी और रिहाई का यह क्रम चलता रहा। [[1947]] में 'आजाद गोंगतक दल' नामक क्रांतिकारी संगठन बनाया, जिसके विश्वनाथ नारायण लवांडे अध्यक्ष थे। इस दल की ओर से सरकारी कार्यालयों, पुलिस चौकियों, सरकारी कोषागारों आदि पर आक्रमण होने लगे। 'आजाद गोंगतक दल' ने [[जुलाई]] और [[अगस्त]], [[1954]] में सशस्त्र बल प्रयोग से [[दादरा और नगर हवेली]] को [[पुर्तग़ाली|पुर्तग़ालियों]] से मुक्त करा लिया। लवांडे को इन आजाद बस्तियों का प्रथम प्रशासक नियुक्त किया गया। [[दिसंबर]] [[1961]] में [[भारतीय सेना]] के हस्तक्षेप से [[गोवा]] स्वतंत्र हो गया। | ||
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विश्वनाथ नारायण लवांडे ( जन्म- 21 फरवरी, 1923, पुराना गोवा नगर; मृत्यु- 15 सितंबर 1998, गोवा) 'गोवा मुक्ति संग्राम' के प्रमुख नेता एवं स्वतंत्रता सेनानी थे। उन्होंने गोवा को पुर्तग़ाली साम्राज्य से मुक्त कराने के लिये कड़ा संघर्ष किया।
परिचय
'गोवा मुक्ति संग्राम' के प्रमुख नेता विश्वनाथ नारायण लवांडे का जन्म 21 फरवरी, 1923 ई. के पुराने गोवा नगर में एक मध्यमवर्गीय ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उन्होंने मुंबई विश्वविद्यालय से बी. एस. सी. और कर्नाटक विश्वविद्यालय से एल. एल. बी. की परीक्षाएं उत्तीर्ण कीं। उसके बाद लवांडे केमिकल इंजीनियरिंग की डिग्री के लिए बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में भर्ती हुए, किंतु शीघ्र ही वे गोवा के मुक्ति संग्राम में सम्मिलित हो गये। वे समाजवादी नेता अच्युत पटवर्धन और डॉक्टर राम मनोहर लोहिया से प्रभावित थे। लवांडे ने लोगों को साम्राज्यवाद के विरुद्ध तथा नवनिर्माण के प्रति जागृत करने का कार्य किया।[1]
गोवा मुक्ति संघर्ष में योगदान
विश्वनाथ नारायण लवांडे का गोवा मुक्ति के लिये संघर्ष में बड़ा ही योगदान रहा है। 1942 के बाद उन्होंने अपना पूरा समय गोवा के संघर्ष में लगाया। 1946 में डॉक्टर लोहिया के साथ भाड़ गांव की सभा में पुर्तग़ाली साम्राज्य के विरुद्ध भाषण देने के कारण वे गिरफ्तार कर लिए गए। उसके बाद गिरफ्तारी और रिहाई का यह क्रम चलता रहा। 1947 में 'आजाद गोंगतक दल' नामक क्रांतिकारी संगठन बनाया, जिसके विश्वनाथ नारायण लवांडे अध्यक्ष थे। इस दल की ओर से सरकारी कार्यालयों, पुलिस चौकियों, सरकारी कोषागारों आदि पर आक्रमण होने लगे। 'आजाद गोंगतक दल' ने जुलाई और अगस्त, 1954 में सशस्त्र बल प्रयोग से दादरा और नगर हवेली को पुर्तग़ालियों से मुक्त करा लिया। लवांडे को इन आजाद बस्तियों का प्रथम प्रशासक नियुक्त किया गया। दिसंबर 1961 में भारतीय सेना के हस्तक्षेप से गोवा स्वतंत्र हो गया।
पुरस्कार
सन् 1962 में दादरा और नगर हवेली प्रशासन के द्वारा लवांडे को सम्मान पत्र से सम्मानित किया। भारत सरकार ने उन्हें ताम्रपत्र से सम्मानित किया, लेकिन उन्होंने इसे अस्वीकार कर दिया।
निधन
विश्वनाथ नारायण लवांडे की मृत्यु 15 सितंबर 1998 को गोवा मेडिकल कॉलेज में मलेरिया बुखार से हुई।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ भारतीय चरित कोश |लेखक: लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय' |प्रकाशक: शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली |पृष्ठ संख्या: 807 |
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