फुलैरा दौज
फुलैरा दौज
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विवरण | 'फुलैरा दौज' फाल्गुन माह में मनाया जाने वाला हिन्दू धर्म का प्रमुख त्योहार है। इस दिन श्रीराधा-कृष्ण की पूजा की जाती है। |
माह | फाल्गुन |
तिथि | शुक्ल पक्ष, द्वितीया |
विशेष महत्त्व | ज्योतिष के अनुसार यदि कोई नया काम शुरू करना चाहता है तो फुलैरा दूज का दिन इसके लिए सबसे उत्तम रहता है। |
अन्य जानकारी | कृष्ण भक्त इस दिन को बड़े उत्साह से मनाते हैं। राधे-कृष्ण को गुलाल लगाते हैं। भोग, भजन-कीर्तन करते हैं, क्योंकि फुलैरा दूज का दिन कृष्ण से प्रेम को जताने का दिन है। |
फुलैरा दौज अथवा 'फुलैरा दूज' (अंग्रेज़ी: Phulera Dooj) हिन्दू धर्म के प्रसिद्ध त्योहारों में से है। बसंत पंचमी और होली के बीच फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को फुलैरा दूज मनाया जाता है। ज्योतिष जानकारों की मानें तो फुलैरा दूज पूरी तरह दोषमुक्त दिन है। इस दिन का हर क्षण शुभ होता है। इसलिए कोई भी शुभ काम करने से पहले मुहूर्त देखने की ज़रूरत नहीं होती।
महत्त्व
- फुलैरा दूज मुख्य रूप से बसंत ऋतु से जुड़ा त्योहार है। वैवाहिक जीवन और प्रेम संबंधों को अच्छा बनाने के लिए इसे मनाया जाता है।
- फुलैरा दूज वर्ष का 'अबूझ मुहूर्त' भी माना जाता है, इस दिन कोई भी शुभ कार्य कर सकते हैं।
- फुलैरा दूज में मुख्य रूप से श्रीराधा-कृष्ण की पूजा की जाती है। जिनकी कुंडली में प्रेम का अभाव हो, उन्हें इस दिन राधा-कृष्ण की पूजा करनी चाहिए।
- वैवाहिक जीवन की समस्याएं दूर करने के लिए भी इस दिन पूजा की जाती है।
ज्योतिष के अनुसार यदि कोई नया काम शुरू करना चाहता है तो फुलैरा दूज का दिन इसके लिए सबसे उत्तम रहता है। माना जाता है कि इस दिन में साक्षात श्रीकृष्ण का अंश होता है तो जो भक्त प्रेम और श्रद्धा से राधा-कृष्ण की उपासना करते हैं, श्रीकृष्ण उनके जीवन में प्रेम और खुशियां बरसाते हैं।[1]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 'फुलेरा दूज' पर पूजा करने से दूर होंगी वैवाहिक जीवन की सारी समस्याएं (हिंदी) aajtak.intoday.in। अभिगमन तिथि: 13 दिसम्बर, 2016।
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