त्रिरात्र व्रत

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  • भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
  • मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की नवमी को आरम्भ होता है।
  • प्रत्येक मास में दो त्रिरात्रव्रत होते हैं।
  • 4 वर्ष एवं 2 मलमासों अर्थात् कुल 50 मासों में 100 त्रिरात्र होते हैं।
  • इस व्रत में वासुदेव भगवान की पूजा की जाती है।
  • अष्टमी पर एकभक्त और उसके उपरान्त तीन दिनों एवं रातों तक उपवास किया जाता है।
  • कार्तिक में व्रत का अन्त होता है।[1]

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हेमाद्रि व्रतखण्ड, 2|318-320