शनि जयंती
शनि जयंती
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अन्य नाम | शनि अमावस्या |
अनुयायी | हिंदू एवं शनि भक्त |
उद्देश्य | शनि जयंती पर उनकी साधना-आराधना और अनुष्ठान करने से शनि देव विशिष्ट फल प्रदान करते हैं। |
प्रारम्भ | पौराणिक काल |
तिथि | ज्येष्ठ, कृष्ण पक्ष, अमावस्या |
उत्सव | शनि जयंती के दिन सुबह जल्दी स्नान आदि से निवृत्त होकर नवग्रहों को नमस्कार करते हुए शनिदेव की लोहे की मूर्ति स्थापित करें और उसे सरसों या तिल के तेल से स्नान कराएं तथा षोड्शोपचार पूजन करें साथ ही शनि मंत्र का उच्चारण करें :-ॐ शनिश्चराय नम: |
धार्मिक मान्यता | शनि देव हिन्दू धर्म में पूजे जाने वाले प्रमुख देवताओं में से एक हैं। |
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अन्य जानकारी | शनि की कृपा एवं शांति प्राप्ति हेतु तिल, उड़द, काली मिर्च, मूंगफली का तेल, आचार, लौंग, तेजपत्ता तथा काले नमक का उपयोग करना चाहिए। |
शनि जयंती एक हिन्दू पर्व है जो ज्येष्ठ, कृष्ण पक्ष, अमावस्या को मनाया जाता है। माना जाता है कि इस दिन शनि देव का जन्म हुआ था। शनि देव हिन्दू धर्म में पूजे जाने वाले प्रमुख देवताओं में से एक हैं।
शनि जन्म कथा
शनि जन्म के संदर्भ में एक पौराणिक कथा बहुत मान्य है जिसके अनुसार शनि, सूर्य देव और उनकी पत्नी छाया के पुत्र हैं। सूर्य देव का विवाह प्रजापति दक्ष की पुत्री संज्ञा से हुआ। कुछ समय पश्चात् उन्हें तीन संतानों के रूप में मनु, यम और यमुना की प्राप्ति हुई। इस प्रकार कुछ समय तो संज्ञा ने सूर्य के साथ निर्वाह किया परंतु संज्ञा सूर्य के तेज को अधिक समय तक सहन नहीं कर पाईं उनके लिए सूर्य का तेज सहन कर पाना मुश्किल होता जा रहा था। इसी वजह से संज्ञा अपनी छाया को पति सूर्य की सेवा में छोड़कर वहां से चली चली गईं। कुछ समय बाद छाया के गर्भ से शनि देव का जन्म हुआ।[1]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.0 1.1 1.2 शनि जयंती 2013 (हिंदी) हिन्दुमार्ग। अभिगमन तिथि: 1 जून, 2013।
- ↑ 2.0 2.1 2.2 शनि जयंती मनेगी..08 जून, 2013 (हिंदी) NETLOG। अभिगमन तिथि: 1 जून, 2013।
बाहरी कड़ियाँ
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