पंचमूर्ति व्रत

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  • भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
  • चैत्र शुक्ल पक्ष की पंचमी पर आरम्भ होती है।
  • उस दिन उपवास एवं शंख, चक्र, गदा, पद्म एवं पृथ्वी को चन्दन से एक वृत्त में खींचकर उनकी पूजा की जाती है।
  • वर्ष भर प्रत्येक मास की पंचमी पर यह व्रत किया जाता है।
  • वर्ष के अन्त में पाँच रंगों के वस्त्रों का दान दिया जाता है।
  • राजसूय के समान पुण्य मिलता है।[1]


टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हेमाद्रि (व्रतखण्ड 2, 466-467, विष्णुधर्मोत्तर 3|155|1-7 से उद्धरण)।

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