- भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
- एक वर्ष तक प्रत्येक मास की 15वीं तिथि पर नक्त विधि का प्रयोग किया जाता है।
- प्रकीर्णक व्रत होता है।
- इसमें देवता शिव की पूजा की जाती है।
- वर्ष के अन्त में शिव भक्तों को 'स्वामी प्रसन्न हों' के साथ भोजन देना होता है।
- इस व्रत से शिवलोक की प्राप्ति होती है, पुनः मनुष्य योनि में नहीं आना पड़ता।[1]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ हेमाद्रि (व्रतखण्ड 2, पृ्ष्ठ 905-06, भविष्य पुराण से उद्धरण)।
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