उत्पन्ना एकादशी
उत्पन्ना एकादशी
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अनुयायी | हिंदू |
उद्देश्य | इस व्रत को करने से मनुष्य को जीवन में सुख शांति मिलती है। मृत्यु के पश्चात् विष्णु के परम धाम का वास प्राप्त होता है। |
तिथि | मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष एकादशी |
उत्सव | एकादशी के दिन ब्रह्मवेला में ही भगवान को पुष्प, जल, धूप, दीप, अक्षत से पूजन करके नीराजन करना चाहिए। |
अन्य जानकारी | व्रत रहने वाले को इस दिन परनिंदक, चोर, दुराचारी, ब्राह्मणदोही, नास्तिक इन सबसे बात नहीं करनी चाहिए। |
उत्पन्ना एकादशी के दिन भगवान श्रीकृष्ण की पूजा की जाती है। पुराणों के अनुसार मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष की एकादशी उत्पन्ना है। इस व्रत को करने से मनुष्य को जीवन में सुख शांति मिलती है। मृत्यु के पश्चात् विष्णु के परम धाम का वास प्राप्त होता है।
विधि
व्रत रहने वाले को दशमी के दिन रात में भोजन नहीं करना चाहिए। एकादशी के दिन ब्रह्मवेला में ही भगवान को पुष्प, जल, धूप, दीप, अक्षत से पूजन करके नीराजन करना चाहिए। इस व्रत में केवल फलों का ही भोग लगाया जाता है। परनिंदक, चोर, दुराचारी, ब्राह्मणदोही, नास्तिक इन सबसे बात नहीं करनी चाहिए। यदि भूल से ऐसी ग़लती हो जाए तो सूर्य के सम्मुख स्थित होकर प्रार्थना करनी चाहिए।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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