भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
जो व्यक्ति कृच्छ प्रायश्चित के अन्त में गोदान करता है और अपने सामर्थ्य के अनुसार ब्रह्मभोज कराता है, वह शंकर जी के लोक में पहुँचता है।[1]; [2]; [3], [4]