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अशोक पूर्णिमा

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  • भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
  • यह व्रत फाल्गुन पूर्णिमा को एक वर्ष तक किया जाता है।
  • प्रथम चार एवं आगे के चार मासों में पृथ्वी को अशोका कहा जाता है।
  • अशोक पूर्णिमा व्रत में पृथ्वी की पूजा एवं चंद्र को अर्ध्य देना चाहिए।
  • प्रथम चार मासों में पृथ्वी को धरणी कहकर, आगे के चार मासों में मेदिनी कहकर तथा अन्तिम चार मासों में वसुन्धरा कहकर पूजा जाता है।
  • इस व्रत में प्रत्येक चार मासों के अन्त में केशव की पूजा होती है।[1]

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. अग्निपुराण (184|1), हेमाद्रि (व्रतखण्ड 2, 162-164)।

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