विशु
विशु
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विवरण | यह केरलवासियों के लिए नववर्ष का दिन है। यह मलयालम महीने 'मेदम' की पहली तिथि को मनाया जाता है। |
वर्ष 2015 | 15 अप्रॅल |
उत्सव | विशु की सुबह ही सोते बच्चों के कान में 'कणी'-'कणी' 'कणी'-ऐसे गुंजाया जाता है कि बच्चा नींद को छोड़कर उठ खड़ा हो। मलयालम भाषा में 'कणी' शब्द का अर्थ है-'फल'। इसके बाद बच्चों को फलों की दावत दी जाती है। विशु के इस शुभ दिन पर केरल के हर घर में संगीत की लहरियाँ गूँजती हैं। |
धार्मिक अनुष्ठान | विशु के दिन अनेक धार्मिक कर्मकाण्ड आयोजित किए जाते हैं। विशु के पहले उत्तरी केरल के मन्दिरों में 'ब्रैटम' का आयोजन होता है। ब्रैटम एक तरह से पुरुषों के द्वारा अपने इष्टदेव को रिझाने के लिए प्रार्थना है। |
विशु कैनीतम | इस त्योहार पर परिवार के छोटे बच्चों को कुछ नगद धन देने की भी परम्परा है। इसे "विशु कैनीतम" कहा जाता है। लोगों में मान्यता है कि यह कार्य भविष्य में उनके बच्चों की समृद्धि सुनिश्चित् करता है। |
अन्य जानकारी | केरल में विशु उत्सव के दिन धान की बुआई का काम शुरू होता है। इस दिन को यहाँ "मलयाली न्यू ईयर विशु" के नाम से पुकारा जाता है। |
अद्यतन | 17:26, 15 अप्रॅल 2015 (IST)
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विशु (अंग्रेज़ी: Vishu) केरल का प्रसिद्ध उत्सव है। यह केरलवासियों के लिए नववर्ष का दिन है। यह मलयालम महीने 'मेदम' की पहली तिथि को मनाया जाता है। केरल में विशु उत्सव के दिन धान की बुआई का काम शुरू होता है। इस दिन को यहाँ "मलयाली न्यू ईयर विशु" के नाम से पुकारा जाता है। बसन्त ऋतु में सुखद आशा व अपेक्षा की भावनाओं को संजोए केरल में विशु (विषु) पर्व भी अन्य पर्वों की भाँति हर्षोल्लास से मनाया जाता है। प्रातःकाल में विशुकनी के शुभ दर्शन की रीति का अनुसरण करते आए केरलवासी इस पर्व का शुभारम्भ करते हैं। केरल के प्रत्येक हिन्दू परिवार में लोगों को जितनी प्रतीक्षा अपने नववर्ष 'विशु' की होती है, उतनी शायद ही किसी अन्य त्योहार की होती है। विशु उनके नये वर्ष का त्योहार है। मेष संक्रान्ति अर्थात् चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से केरल में नववर्ष का शुभारम्भ होता है। इस अवसर पर नये पंचांग की पूजा करके उसे उपस्थित जनसमुदाय के बीच में पढ़ा जाता है और नये वर्ष का भविष्य फल बताया जाता है।
उत्सव का प्रारम्भ
मलयाली मास 'मेदम' के प्रथम दिन ही विशु का त्योहार हर्ष व उल्लास से मनाया जाता है। विशु की सुबह ही सोते बच्चों के कान में 'कणी'-'कणी' 'कणी'-ऐसे गुंजाया जाता है कि बच्चा नींद को छोड़कर उठ खड़ा हो। मलयालम भाषा में 'कणी' शब्द का अर्थ है-'फल'। इसके बाद बच्चों को फलों की दावत दी जाती है। विशु के इस शुभ दिन पर केरल के हर घर में संगीत की लहरियाँ गूँजती हैं। लोग भक्ति-संगीत में लीन होकर नये वर्ष का स्वागत करते हैं। एक तरह से किसानों के लिए यह पर्व आशापुंज है। इस दिन वे सुखी व समृद्ध जीवन की कामना करते हैं। अंग्रेज़ी कलेन्डर के अनुसार यह दिन अप्रैल-मई में आता है। हिन्दुओं के लिए यह अवसर अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि विशु का त्योहार नववर्ष का शुभारम्भ घोषित करता है। विशु के दिन परम्पराबद्ध केरलवासी अनेक रंगारंग अनुष्ठान व विधियों का पालन करते हैं। अधिकतर ये परम्पराएँ इस विश्वास पर आधारित हैं कि विशुपर्व धूम–धाम से मनाना चाहिए, क्योंकि नववर्ष के प्रथम दिन के शुभकार्य पूरे वर्ष भी जारी रहेंगे।