नववर्ष
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अन्य नाम
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नया साल, न्यू ईयर
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अनुयायी
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सभी
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उद्देश्य
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इस दिन के साथ दुनिया के ज़्यादातर लोग अपने नए साल की शुरुआत करते हैं।
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तिथि
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1 जनवरी
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प्रसिद्धि
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1 जनवरी को मनाया जाने वाला नववर्ष दरअसल ग्रेगोरियन कैलेंडर पर आधारित है। इसकी शुरुआत रोमन कैलेंडर से हुई है।
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अन्य जानकारी
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एक अनुमान के अनुसार अकेले भारत में ही क़रीब 50 कैलेंडर (पंचांग) हैं और इनमें से कई का नया साल अलग दिनों पर होता है।
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नववर्ष यानी
वर्ष का पहला
दिन 1 जनवरी को मनाया जाता है। इस दिन के साथ दुनिया के ज़्यादातर लोग अपने नए साल की शुरुआत करते हैं। नए का आत्मबोध हमारे अंदर नया उत्साह भरता है और नए तरीक़े से जीवन जीने का संदेश देता है। हालांकि ये उल्लास, ये उत्साह दुनिया के अलग-अलग कोने में अलग-अलग दिन मनाया जाता है क्योंकि दुनिया भर में कई कैलेंडर हैं और हर कैलेंडर का नया साल अलग-अलग होता है। एक अनुमान के अनुसार अकेले
भारत में ही क़रीब 50 कैलेंडर (
पंचांग) हैं और इनमें से कई का नया साल अलग दिनों पर होता है।
इतिहास
1 जनवरी को मनाया जाने वाला नववर्ष दरअसल ग्रेगोरियन कैलेंडर पर आधारित है। इसकी शुरुआत रोमन कैलेंडर से हुई है। पारंपरिक रोमन कैलेंडर का नववर्ष 1 मार्च से शुरू होता है। प्रसिद्ध रोमन सम्राट जूलियस सीज़र ने 47 ईसा पूर्व में इस कैलेंडर में परिवर्तन किया और इसमें जुलाई माह जोड़ा। इसके बाद उसके भतीजे के नाम के आधार पर इसमें अगस्त माह जोड़ा गया। दुनिया भर में आज जो कैलेंडर प्रचलित है, उसे पोप ग्रेगोरी अष्टम ने 1582 में तैयार किया था। ग्रेगोरी ने इसमें लीप ईयर का प्रावधान किया था। ईसाइयों का एक अन्य पंथ 'ईस्टर्न आर्थोडॉक्स चर्च' तथा इसके अनुयायी ग्रेगोरियन कैलेंडर को मान्यता न देकर पारंपरिक रोमन कैलेंडर को ही मानते हैं। इस कैलेंडर के अनुसार नया साल 14 जनवरी को मनाया जाता है। इस कैलेंडर की मान्यता के अनुसार जॉर्जिया, रूस, यरूशलम, सर्बिया आदि में 14 जनवरी को नववर्ष मनाया जाता है।[1]