फाल्गुन पूर्णिमा
फाल्गुन पूर्णिमा
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विवरण | 'फाल्गुन पूर्णिमा' हिन्दू धर्म में मान्य पवित्र तिथियों में से एक गिनी जाती है। इस तिथि पर व्रत आदि धार्मिक कृत्य करने का बड़ा ही महत्त्व कहा गया है। |
माह | फाल्गुन |
तिथि | पूर्णिमा |
महत्त्व | इस दिन जो व्यक्ति होलिका दहन करता है, उसके सारे कष्ट दूर हो जाते हैं और उस पर भगवान विष्णु की विशेष कृपा होती है। |
संबंधित लेख | विष्णु, प्रह्लाद, होली, होलिका, होलिका दहन। |
अन्य जानकारी | होली भारत का प्रमुख त्योहार है। होलिका दहन पूर्ण चंद्रमा (फाल्गुन पूर्णिमा) के दिन ही प्रारंभ होता है। इस दिन सायंकाल को होली जलाई जाती है। |
फाल्गुन पूर्णिमा का हिन्दू धार्मिक ग्रंथों में बड़ा ही महत्त्व बताया गया है। फाल्गुन पूर्णिमा के दिन रखे जाने वाले व्रत की भी महिमा ग्रंथों में कही गई है। पूर्णिमा व्रत हर माह को रखा जाता है। पूर्णिमा के दिन सूर्य उदय से लेकर चंद्रमा के दिखाई देने तक उपवास रखा जाता है। हर माह की पूर्णिमा को अलग-अलग विधियों द्वारा भगवान की पूजा की जाती है। इस दिन कामदेव का दाह किया जाता है।
विषय सूची
व्रत तिथि
- 'नारद पुराण' के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को सभी प्रकार की लकड़ियों और उपलों को इकट्ठा करना चाहिए।
- इसके बाद मंत्रों द्वारा अग्नि में विधिपूर्वक हवन करके होलिका पर लकड़ी डालकर उसमें आग लगा देना चाहिए।
- जब आग की लपटें बढ़ने लगें तो उसकी परिक्रमा करते हुए खुशी और उत्सव मनाना चाहिए।
- होलिका दहन करते समय भगवान विष्णु और भक्त प्रह्लाद की मंगलकामना और राक्षसी होलिका को भस्म करने के बारे में सोचना चाहिए।
व्रत महत्त्व
फाल्गुन पूर्णिमा के दिन जो व्रती पूरे श्रद्धाभाव और विधि-विधान से व्रत रख कर होलिका दहन करता है, उसके सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। इसके साथ ही व्यक्ति पर भगवान विष्णु की विशेष कृपा होती है।