पापमोचनी एकादशी
पापमोचनी एकादशी
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अनुयायी | हिंदू |
उद्देश्य | इस दिन व्रत करने से समस्त पापों का नाश होता है और सुख-समृद्धि प्राप्त होती है। |
तिथि | चैत्र कृष्ण पक्ष एकादशी |
उत्सव | एकादशी तिथि को जागरण करने से कई गुणा पुण्य मिलता है अत: रात्रि में भी निराहार रहकर भजन कीर्तन करते हुए जागरण करें। |
अन्य जानकारी | पापमोचनी एकादशी का अर्थ है 'पाप को नष्ट करने वाली एकादशी'। इस दिन निंदित कर्म तथा मिथ्या भाषण नहीं करना चाहिए। |
पापमोचनी एकादशी पुराणों के अनुसार चैत्र कृष्ण पक्ष की एकादशी को कहा जाता है। पापमोचनी एकादशी का अर्थ है 'पाप को नष्ट करने वाली एकादशी'।
व्रत और विधि
एकादशी के दिन सूर्योदय काल में स्नान करके व्रत का संकल्प करें। इस दिन भगवान विष्णु को अर्ध्य दान देकर षोडशोतपचार पूजा करनी चाहिए। तत्पश्चात् धूप, दीप, चंदन आदि से नीराजन करना चाहिए। इस दिन निंदित कर्म तथा मिथ्या भाषण नहीं करना चाहिए। एकादशी के दिन भिक्षुक, बन्धु-बान्धव तथा ब्राह्मणों को भोजन दान देना फलदायी होता है। इस व्रत के करने से समस्त पापों का नाश होता है और सुख-समृद्धि प्राप्त होती है। एकादशी तिथि को जागरण करने से कई गुणा पुण्य मिलता है अत: रात्रि में भी निराहार रहकर भजन कीर्तन करते हुए जागरण करें। जैसा कि इसके नाम से स्पष्ट है इस व्रत को करने से ब्रह्महत्या, स्वर्णचोरी, मद्यपान, अहिंसा, अगम्यागमन, भ्रूणघात आदि अनेकानेक घोर पापों के दोषों से मुक्ति मिल जाती है।
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