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*पुर्तगाली शासन की दासता से गोवा को मुक्त कारने के लिए जो खुला राष्ट्रीय आंदोलन चला था, उसमें विनायक साप्ते ने भाग लिया और वह दो बार जेल भी गए। लेकिन उनको शीघ्र ही उस आंदोलन की निस्सारता समझ में आ गई और वह गोवा के क्रांतिकारियों की संस्था गोमांतक दल के सदस्य बन गए।
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*पुर्तग़ाली शासन की दासता से गोवा को मुक्त कारने के लिए जो खुला राष्ट्रीय आंदोलन चला था, उसमें विनायक साप्ते ने भाग लिया और वह दो बार जेल भी गए। लेकिन उनको शीघ्र ही उस आंदोलन की निस्सारता समझ में आ गई और वह गोवा के क्रांतिकारियों की संस्था गोमांतक दल के सदस्य बन गए।
  
*विनायक साप्ते के दल ने विस्फोटक सुरंगों के साथ सिरिगाओ माइंस का विध्वंस करने का संकल्प किया। वे लोग आवश्यक सामग्री के साथ घटनास्थल पर पहुँच गए। उनका अभियान सफल रहा और वहाँ भारी विनाश हुआ। इस अभियान को संपन्न करके जब उनका दल लौट रहा था तो पुर्तगाल की पुलिस ने उनका पीछा किया। अपने सभी साथियों को उन्होंने सुरक्षा पूर्वक निकाल दिया, पर वह स्वयं पुलिस की गोली का शिकार होकर [[19 फरवरी]], [[1958]] को शहीद हो गए।<ref>{{cite web |url=http://www.kranti1857.org/goa%20krantikari.php#Vinayak%20S |title=विनायक साप्ते|accessmonthday=23 फरवरी|accessyear=2017 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=क्रांति 1857|language= हिंदी}}</ref>
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*विनायक साप्ते के दल ने विस्फोटक सुरंगों के साथ सिरिगाओ माइंस का विध्वंस करने का संकल्प किया। वे लोग आवश्यक सामग्री के साथ घटनास्थल पर पहुँच गए। उनका अभियान सफल रहा और वहाँ भारी विनाश हुआ। इस अभियान को संपन्न करके जब उनका दल लौट रहा था तो पुर्तग़ाल की पुलिस ने उनका पीछा किया। अपने सभी साथियों को उन्होंने सुरक्षा पूर्वक निकाल दिया, पर वह स्वयं पुलिस की गोली का शिकार होकर [[19 फरवरी]], [[1958]] को शहीद हो गए।<ref>{{cite web |url=http://www.kranti1857.org/goa%20krantikari.php#Vinayak%20S |title=विनायक साप्ते|accessmonthday=23 फरवरी|accessyear=2017 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=क्रांति 1857|language= हिंदी}}</ref>
  
  

14:31, 7 जुलाई 2017 के समय का अवतरण

विनायक साप्ते का जन्म सन 1939 में गोवा के कोरलिम गाँव में हुआ था। इनके पिता का नाम श्री धर्म साप्ते ताम्रकार था।


  • पुर्तग़ाली शासन की दासता से गोवा को मुक्त कारने के लिए जो खुला राष्ट्रीय आंदोलन चला था, उसमें विनायक साप्ते ने भाग लिया और वह दो बार जेल भी गए। लेकिन उनको शीघ्र ही उस आंदोलन की निस्सारता समझ में आ गई और वह गोवा के क्रांतिकारियों की संस्था गोमांतक दल के सदस्य बन गए।
  • विनायक साप्ते के दल ने विस्फोटक सुरंगों के साथ सिरिगाओ माइंस का विध्वंस करने का संकल्प किया। वे लोग आवश्यक सामग्री के साथ घटनास्थल पर पहुँच गए। उनका अभियान सफल रहा और वहाँ भारी विनाश हुआ। इस अभियान को संपन्न करके जब उनका दल लौट रहा था तो पुर्तग़ाल की पुलिस ने उनका पीछा किया। अपने सभी साथियों को उन्होंने सुरक्षा पूर्वक निकाल दिया, पर वह स्वयं पुलिस की गोली का शिकार होकर 19 फरवरी, 1958 को शहीद हो गए।[1]



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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. विनायक साप्ते (हिंदी) क्रांति 1857। अभिगमन तिथि: 23 फरवरी, 2017।

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