रमठ
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रमठ अथवा 'रामठ' अथवा 'रमण' नामक एक प्राचीन स्थान का उल्लेख महाभारत, भीष्मपर्व में हुआ है-
'सकृद्ग्रहाः कुलात्याश्च हूणाः पारसिकैः सह, तथैव रमठाश्चीनास्तथैव दशमालिकाः।'[1]
'द्वारपालं च तरसा वशे चक्रे महाद्युतिः रामठान् हारहूणांश्च प्रतीच्याश्चैव ये नृपाः।'[2]
- द्वितीय उद्धरण में उल्लिखित 'द्वारपाल' का अभिज्ञान ख़ैबर दर्रे से ओर 'हारहूण' का दक्षिण पश्चिम अफ़ग़ानिस्तान से किया गया है। इसी आधार पर 'रमठ' या 'रामठ' को ग़ज़नी का प्रदेश माना गया है। 'रमठ' का पाठांतर 'रमण' है।
- संस्कृत के कवि राजशेखर ने कन्नोजाधिप महीपाल (9वीं शती ई.) द्वारा विजित प्रदेशों में रमठ की गणना की है। इनमें 'मुरल', 'मेखल', 'कलिंग', 'केरल', 'कुलूत' और 'कंतल' भी हैं।[3]
इन्हें भी देखें: अफ़ग़ानिस्तान एवं ख़ैबर दर्रा
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