अग्निज्वाल पौराणिक ग्रंथों तथा हिन्दू मान्यताओं के अनुसार एक नरक का नाम है, जहाँ ऋषियों के आश्रम की शान्ति भंग करने वाले लोग जाते है।[1] जो कोई भी ऋषि आश्रमों के नियम तोड़ते हैं या अनियमित जीवन व्यतीत करते हैं, उन्हें भी इसी नरक में जाना पड़ता है।[2][3]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ ब्रह्मपुराण 4.2.149,174
- ↑ वायुपुराण 101.148, 171
- ↑ पौराणिक कोश |लेखक: राणाप्रसाद शर्मा |प्रकाशक: ज्ञानमण्डल लिमिटेड, आज भवन, संत कबीर मार्ग, वाराणसी |पृष्ठ संख्या: 10 |